चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने रविवार को कहा जीवन मे कठिनाइयां तो आती हैं। उनसे भागना नहीं है बल्कि मनुष्य को उनका सामना कर आगे निकलना है। अगर समस्यायों से भाग जाएगा तो वो बढ़ती जाएंगी। जीवन में आगे जाने के लिए हर परिस्थिति का सामना करना आना चाहिए। परिस्थिति से डर कर पाप का मार्ग नहीं चुनना चाहिए।
साध्वी समिति ने कहा कि वर्तमान में बच्चे से लेकर बूढ़े तक तनाव से ग्रस्त हो गए हैं। परिस्थितियां और मन:स्थिति में तालमेल नहीं होने पर मनुष्य तनाव में आता है। पहले के समय मे ऐसा नहीं होता था लोग दिन रात काम करने के बाद भी तनाव ग्रस्त नहीं होते थे। लेकिन आज के समय मे थोड़ा काम करने के बाद भी तनाव में आ जाते हैं।
उन्होंने कहा कि परिवार के एक सदस्य को अगर तनाव होता है तो पूरा परिवार तनावग्रस्त हो जाता है। प्राचीन समय में लोग बड़ी से बड़ी बात को छोटी सोच के मुस्कुराते रहते थे, लेकिन अब छोटी से छोटी बातों को बड़ा समझ कर तनाव लेते हैं, लेकिन हर परिस्तिथि में मुस्कुराने वालो का तनाव खत्म हो जाता। उन्होंने कहा कि लोग दूसरों से अपेक्षा रखते है और पूरी नहीं होने पर तनाव में आ जाते है।
लेकिन तनाव मुक्त रहने के लिए किसी से अपेक्षा नही रखनी चाहिए। परिस्थिति कैसी भी हो उसे स्वीकार कर काम करे। ऐसा करने पर मानव जीवन सुखी रहेगा। इंसान आंतरिक परिवेश में ज्यादा जी रहा है बाहरी परिवेश से कट चुका है यही तनाव का विशेष कारण है टीवी मोबाइल कंप्यूटर है मनुष्य के जीवन का विशेष अंग बनकर रह गया है।
आज का विज्ञान तनाव का कारण है मनुष्य को प्रकृति से जुडऩा चाहिए तभी तनाव मुक्त हो सकता है उन्होंने कहा कि लोग अपने भविष्य की चिंता में अपना वर्तमान भी तनावग्रस्त कर ले रहे हंै। लेकिन याद रहे कि मनुष्य को भविष्य की तैयारी करनी चाहिए अच्छी बात है, पर जीना वर्तमान में ही चाहिए। भविष्य की चिंता में वर्तमान को खराब नहीं करना चाहिए।
संस्कार मंच को तमिलनाडु वैयावच्च पुरुस्कार मिलने पर संघ अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, महावीर सिसोदिया, मंगलचंद खारीवाल ने सम्मानित किया। इस मौके पर नवरतनमल-महेश तालेडा, चेनराज ललवानी, पंकज कोठारी, दुलीचंद छाजेड़, मदन खाबिया, गौतमचंद दुगड समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। सोमवार साध्वी प्रभाकंवर की 92वीं जयंती पर सामूहिक महिला भिक्षु दया का आयोजन होगा।