चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने शनिवार को प्रवचन के विषय ‘सेवा भावनाÓ पर उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार इमारत निर्माण के लिए मजबूत नींव की जरूरत होती है उसी प्रकार मानव जीवन की नींव का निर्माण सेवा भावना से होती है। बच्चा जब जन्म लेता है मां-बाप के प्यार, वात्सल्य में लालन-पालन होता है। जब बड़ा होता है तो शादी के बाद पत्नी का साथ मिलता है।
लेकिन इस संसार में ऐसे भी महापुरुष हुए हैं जिनको युगो-युगों से याद किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन की आहूति दे दी। प्रभु महावीर स्वामी कहते हैं कि परस्पर सहयोग से ही जीवन निर्माण होता है। जो दूसरों के काम नहीं आ सके वह जीवन व्यर्थ होता है।
दूसरों के प्रति दया भाव नहीं हो, दूसरों के दुख को देखकर आंखें नम न हो तो जीवन बेकार है। हर इंसान को दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा उत्तराध्ययन के 29वें सूत्र में कहा गया है कि सेवा करके व्यक्ति अपने जीवन को सफल बना सकता है।
रविवार को आचार्य शिविमुनि की जन्म जयंती मनाई जाएगी। दोपहर बाद बच्चों के शिविर का आयोजन किया जाएगा।