वसंत स्वर्णमहल प्रवचन हॉल वाटिका का हुआ उद्घाटन
इंदौर। यहां चंदन नगर स्थित श्रीजी वाटिका में कृष्णगिरी शक्तिपीठाधीपति, राष्ट्रसंत व यतिवर्य डॉ वसंतविजयजी म.सा. के 36 दिवसीय आध्यात्मिक साधना आराधना महोत्सव के तहत वसंत स्वर्णमहल प्रवचन हॉल का शुभारंभ समाजसेवी गुरुभक्त अरविंद बांठिया ने फीता खोलकर किया। राष्ट्रसंतश्रीजी की पावन निश्रा में हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
इस अवसर पर डॉ वसंतविजयजी ने अपने प्रवचन में भक्ति को अमृतपान रुपी शक्ति बताते हुए कहा कि इसका चमत्कार रुपी फल मिलते ही व्यक्ति हो जाता है। उन्होंने कहा व्यक्ति के हर दुख का इलाज सच्ची भक्ति में ही है, परमात्मा की भक्ति में निरंतरता भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संसार के प्रत्येक प्राणी मात्र के लिए दया पालने की सीख हमें परमात्मा ने दी है।
बगैर दया के परमात्मा की भक्ति नहीं हो सकती है। डॉ वसंतविजयजी ने अपने प्रेरणादायी संदेशात्मक प्रवचन में कहा कि सदैव प्रगति पथ पर बढ़ने वाले व्यक्ति को किसी की निंदा न करनी चाहिए और न ही सुननी चाहिए। प्रसंगवश मय उदाहरण के संतश्रीजी ने एक घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति की बुराई करना दरिद्रता को आमंत्रण देना है अर्थात अभाव रूपी संवाद करने पर अभाव बढ़ेगा जबकि सकारात्मक रहते हुए धनागम रूपी चर्चाओं एवं संवाद से धनार्जन की क्रिया बढ़ सकती है।
वसंतविजयजी ने स्वहित करने को मंगलकारी बताते हुए यह भी कहा कि दुनिया भर की बातें अथवा दुनिया की सोचने से पहले स्वयं के बारे में सोचना व सुधरना भी मनुष्य के लिए आवश्यक है। संतश्री ने दुर्गुणों को त्यागने अर्थात व्यक्ति किस प्रकार दुर्गुण रहित हो सकता है इसकी भी विस्तार से व्याख्या की।
साथ ही डॉ वसंतविजयजी ने कहा कि इस दुनियावी संसार में सिद्धांत गलत हो सकते हैं मगर सत्य कभी गलत नहीं हो सकता है। प्रवचन सभा का संचालन कमल करणपुरिया ने किया। गुरु भक्त सतीश दोशी ने बताया कि उपस्थित श्रद्धालुओं को संतश्री के दिव्य मांगलिक प्रदान की।
उन्होंने बताया कि संतश्री के दर्शन-वंदन, मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए टांडा से सुरेश कोठारी, प्रकाश जैन, पारस हरण, सचिन जैन के साथ अनेक गुरुभक्त तथा राजगढ़, मोहनखेड़ा व उज्जैन सहित अनेक शहरों-उपनगरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रीजी वाटिका पहुंचे। सभी का आभार रितेश नाहर ने जताया।