चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने आचार्य शिवमुनि की 77वीं जन्म जयंती पर कहा आत्मा का ध्यान करने वाले शिवगुणवान होते हैं। परमात्मा की भक्ति और प्रार्थना मनुष्य को जीवन में हमेशा आगे ले जाती है। ऐसा करने से मनुष्य के गुणों में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा उत्तम जिन भक्ति रूपी तप को जीवन में अपनाने के लिए हमेशा आगे रहना चाहिए। समय प्रतिकूल हो या न हो लेकिन अपने मन में निष्ठा के साथ चलने वाले काम को पूरा किए बिना नहीं रुकना चाहिए। गुरुदेवों की बातों को स्वीकार करना प्रवचन की रस वाली बात बन जाती है। परिवार में अगर तप त्याग होता है तो खुशी होती है।
उन्होंने कहा कि आचार्य शिवमुनि का जीवन बहुत ही सरल था वे सरलता के मूर्ति हैं। उन्होंने कभी भी मान अभिमान की बात नहीं की। जिस प्रकार परिवार में किसी का जन्मदिन होता है तो उसे मनाने के लिए लोग कई तरह के उपक्रम कर खुशी मनाते हैं उसी प्रकार आचार्य की जयंती पर मनुष्य को चरणों में भक्ति की भेंट चढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। सच्चे अर्थो में महापुरुषों की जयंती, दीक्षा और अन्य सभी तिथियां धर्म, त्याग, सामायिक और स्वाध्याय के साथ मनाई जानी चाहिए। जिनभक्ति के लिए खुद के जीवन को समर्पित करना बहुत बड़ी उपलब्धि होती है।
उपप्रर्वतक विनयमुनि ने आचार्य की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। फूलमुनि ने गीतिका प्रस्तुत की। सागरमुनि ने कहा समझ आने के बाद ही जगत में उजाला होता है। संसार का हर व्यक्ति आगे निकलने के लिए कोशिश तो करता है लेकिन सही मायने में कोशिश कहां करनी चाहिए यह वह नहीं जानता। इसे समझने के लिए समझ आना बहुत ही जरूरी है। परमात्मा कहते हैं क्षमा करने से आनंद मिलता है।
जिनके जीवन में क्षमा भाव होता है उनके जीवन में आनंद रहता है। जब मनुष्य क्षमा भाव से अच्छे कार्य करेगा तभी ऊपर उठेगा। इस मौके पर तीन-तीन सामायिक, तप और आराधना की गई। धर्मसभा में संघ अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी, पदम सिंघवी, कमल कोठारी, पदम कोठारी, सुभाष कांकलिया, सूरज बाफना, गौतम श्रीमाल, ज्ञान लोढ़ा, जम्बो दुगड़ और गौतम कोटडिय़ा सहित बेंगलूरु समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे। सहमंत्री पंकज कोठारी ने संचालन किया। कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि बुधवार से नवपद जाप शुरू होगा।