परमात्मा की इबादत, जीवन की हिफाजत पिता की खिदमत अनंत सुख का मार्ग है। हमारे सामने दो मार्ग हैं एक भोग और दूसरा भक्ति। एक अंधकार का मार्ग है तो दूसरा प्रकाश का। एक सुख का मार्ग है तो दूसरा दुख का। एक फसने का तो दूसरा उबरने का।
भोग का मार्ग संसार की ओर ले जाता है तो भक्ति का मार्ग संसार से उभरता है। भक्ति हमारे जनम जनम के पाप, ताप और संताप को मिटाता है।
इसलिए इंसान को भोग मार्ग त्याग कर भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए।
भगवान कृष्ण ने भी यही कहा है उठो वत्स अपने जीवन को भक्ति मार्ग से जोड़कर मुक्ति के अभिलाषी बनो। इससे तुम्हारा जीवन ऊंचाई की ओर बढ़ेगा। अर्थात बढ़ो बढ़ो तभी तुम्हारा कल्याण संभव है।