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न पाप करें, न ही पापी की अनुमोदना करें: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

न पाप करें, न ही पापी की अनुमोदना करें: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

मासक्षमण करने वाले तपस्वीवृंद का किया अभिनंदन, मेजर जनरल राजपुरोहित व अभिनेत्री सिमरन ने लिया मांगलिक

बेंगलूरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी के सान्निध्य में यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में मासक्षमण की तपस्या करने वाले चार तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर चंडीगढ़ में पदस्थापित मेजर जनरल नरपत सिंह राजपुरोहित व पंजाबी फिल्म अभिनेत्री सिमरन शब्बरवाल ने भी साध्वीश्री के दर्शन-वंदन सहित मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त किया। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में अपने चातुर्मासिक प्रवचन में साध्वीश्री ने 15 प्रकार के करुणा दानों की विस्तार से व्याख्या की। मूक प्राणियों के प्रति दया व त्याग की भावना को बलवती रखने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने करुणा दान के अनेक प्रसंगों के उदाहरण भी दिए।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में पाप कभी छिपा हुआ नहीं रह सकता है। न ही पापकर्म करने, न ही पाप करने दें तथा पापकर्म करनेवाले की अनुमोदना भी नहीं करनी चाहिए। धर्म-आराधना के समय फलीभूत सकारात्मक परिणामों के लिए सात्विकता एवं पवित्रता को महत्ती आवश्यक बताते हुए डाॅ.कुमुदलताजी ने कहाकि मंत्रों में अपार शक्ति होती है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक गुरुवार को गुरु दिवाकर दरबार में वृहद स्तर पर होने वाले जाप-अनुष्ठान की श्रृंखला में इस बार 15 अगस्त को कलयुग के कल्पवृक्ष भक्तामर स्तोत्र के 26वें श्लोक की आराधना होगी। उन्होंने कहा कि माइग्रेन व बुद्धि कौशल के लिए इस स्तोत्र का जाप बहुत प्रभावशाली है। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने गीतिका प्रस्तुत की।

साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने शाश्वतसुख की प्राप्ति के लिए सुखविपाक सूत्र के सातवें अध्याय का वाचन किया। उन्होंने कहा कि भाव से भावना बढ़ती है तथा उच्च गति का भव प्राप्त होता है। साध्वीश्री ने कहा कि शुभ प्राप्ति के लिए शुभ भाव व शुभ कर्म जरुरी है।

डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने कहा कि प्रभू महावीर कहते है कि व्यक्ति के विचार शुभ होंगे तभी वाणी भी शुभ मंगल होगी तथा व्यवहार भी शुभ होगा। मंच पर साध्वीश्री राजकीर्तिजी भी मौजूद थीं। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि साध्वीवृंद के मुखारविंद से मंगलाचरण वाचन से शुरु हुई धर्मसभा में प्रवचन पश्चात् विभिन्न प्रकार की तपस्या करने वालों को व मासक्षमण करने वाले श्रावक-श्राविकाओं में क्रमशः आशा दिनेश चोपड़ा, सुमन प्रवीण धोका, सुमन मनीष बाफना व चेन्नई के महावीरचंद तालेड़ा को साध्वीवुंद द्वारा पच्चखान कराए गए।

समिति के अध्यक्ष केसरीमल बूरड़, चेयरमैन किरण मरलेचा, कार्याध्यक्ष पन्नालाल कोठारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मूथा, रतन सिंघी, गुलाबचंद पगारिया, रमेश सिसोदिया, राजेश गोलेच्छा, जंबूकुमार महिला समिति की चेयरपर्सन उषा मूथा, मंजू लूंगड़, सरला दुगड़ व रंजना गुलेच्छा सहित अनेक पदाधिकारियों ने सम्मान किया।

जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः निर्मला दुगउ़, कलिंगा कवाड़ व विनोद कोठारी को पुरस्कृत किया गया। अशोक रांका ने बताया कि धर्मसभा में चेन्नई, वसई-मुंबई व मैसूरु से श्रद्धालुओं ने शिरकत कर प्रवचन श्रवण व साध्वीश्री के दिव्य मांगलिक लाभ को प्राप्त किया।

अतिथि मेजर जनरल राजपुरोहित व फिल्म अभिनेत्री सिमरन का भी बहुमान किया गया। धर्मसभा का संचालन अशोक कुमार गादिया ने किया। सभी का आभार समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मूथा ने जताया।

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