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ज्ञान वाणी

नदी जब अपने किनारों की मर्यादा में रहती है: कमलमुनि कमलेश

नदी जब अपने किनारों की मर्यादा में रहती है: कमलमुनि कमलेश

नदी जब अपने किनारों की मर्यादा में रहती है। सिंचाई का काम करती है और मानवता के लिए वरदान बनती है लेकिन जब वही नदी मर्यादा तोड़कर विकराल रूप लेती है वहीं विनाश का कारण बनती है।

इसी प्रकार जब मानव मर्यादा में रहता है तो स्वयं का कल्याण करता है और के लिए भी कल्याणकारी होता है। उक्त विचार राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने अहिंसा भवन में तपस्वी राज श्री सुमित प्रकाश जी मार साहब की जन्म जयंती पर अहिंसा भवन में धर्म सभा को संबोधित करते कहा कि मर्यादा ही अपने आप में सबसे महान धर्म है।

मर्यादा सामान्य मानव को भी महामानव के रूप में परिवर्तित कर देती है। मुनि कमलेश ने कहा कि जितने में विश्व के महापुरुष हुए हैं सभी मर्यादा का पालन करके बने हैं। मर्यादा का उल्लंघन करना महाविनाश को खुला निमंत्रण देना है।

मर्यादा पालन के बिना किसी भी में धर्म में प्रवेश नहीं है। मर्यादा अपने आप में धर्म है और मोक्ष का मार्ग है। राष्ट्र संत ने कहा कि मर्यादा हीन व्यक्ति करोड़ों की संपत्ति का होकर भी कौड़ी का है तथा मर्यादित मानव सामान्य होकर भी संपूर्ण विश्व की संपत्ति के मालिक से भी महान है।

मर्यादा की लक्ष्मणरेखा पालन करने वाले में भगवान की शक्ति का निवास होता है। उन्होंने कहा कि मर्यादा हीनजीवन पशु तुल्य है। मर्यादा का अतिक्रमण करना अ धर्म और पाप है। उन्होंने कहा कि मर्यादा के अभाव में किया गया त्याग तपस्या और साधना भी मुर्दे को श्रृंगार कराने के समान है। मर्यादित आचरण अमृत है विश्व के सभी धर्मों ने मर्यादा को धर्म का प्राण बताया है। दुर्भाग्य है बाहरी धर्म की तो बाढ़ आ गई है। आंतरिक जीवन पूरा खोखला हो रहा है।

नवरात्रि के पावन पर्व सादगी साधना और मर्यादा के लिए विख्यात है। इन गुणों को आत्मसात करना ही देवी मां का सच्चा भक्त बनना है। राष्ट्र संत कमल मुनि कमलेश विद्यालय राजगृही तो विद्यार्थियों ने आध्यात्मिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी संघ की ओर से उनका अभिनंदन किया गया। 19 अक्टूबर तपस्वी श्री जयंती मुनि जी का 97 जयंती सद्भावना दिवस के रूप में राज्य संत कमल मुनि कमलेश के सानिध्य में रात 9:00 बजे कामानी भवन भवानीपुर में मनाई जाएगी।

श्री कौशल मुनि जी ने मंगलाचरण किया श्री घनश्याम मुनि जी ने विचार व्यक्त किए संघ के प्रधान संदीप जैन गुजराती जैन स्थानक की ओर से विपिन जैन महावीर सदन की ओर से डॉक्टर जीएस पीपाड़ा ने गुरुदेव केगुणा नुवाद किए।

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