पुरुषावाक्कम स्थित श्री एमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में चातुर्मासार्थ विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि ने कहा आज की नई पीढ़ी को यदि अनर्थ और व्यर्थ से बचाना है तो उन्हें धर्म और परमात्मा की भक्ति में डुबोना होगा।
भक्तामर की यात्रा के अंतर्गत बताया कि तत्त्वज्ञानी तत्त्व की दृष्टि से, भोगी भोग की दृष्टि से और भक्त भगवान की दृष्टि की संसार को देखता है। तत्वज्ञानी के लिए तत्त्वज्ञान सर्वोपरि है और भक्त के लिए भगवान सर्वोपरि है। भक्ति की दृष्टि से ही भक्त की बात समझ में आएगी, तत्व की दृष्टि से नहीं। भक्तामर की यात्रा करने के लिए भक्ति की दृष्टि होना जरूरी है।
आचार्य मानतुंग ने भक्तामर में केवल एक ही तत्त्व भक्ति की चर्चा की है। जिसने परमात्मा की भक्ति, शक्ति का आलम्बन लिया, सुदर्शन को अर्जुनमाली नहीं रोक सका। जिसने प्रभु का आश्रय लिया वह वहां पहुंच सकता है जहां तक आपकी शक्ति को कोई भी पहुंचने से रोक नहीं सकता। जो बाधाओं का आलम्बन लेता है उसकी जिंदगी में बाधाएं ही आएंगी।

उन्होंने कहा, भक्तामर की यात्रा कराने की भावना यही है कि आचार्य मानतुंग के पास काई यंत्र, मंत्र, तंत्र नहीं था केवल भगवत्ता का आलम्बन था जिससे उनकी लोहे की बेडिय़ां टूट गई। निराबाध, अविचल, निर्विकार बनना हो तो विश्व में एक ही आलम्बन है परमात्मा प्रभु का।
तीर्थेशऋषि ने ‘जिन्हें साथ सद्गुरु तुम्हारा मिला है…’ गीत का संगान किया। गुणवन्तीबाई कवाड़ के मासखमण उपवास के पच्चखाण पर चातुर्मास समिति द्वारा उनका सम्मान किया गया।
शनिवार को एएमकेएम परिसर में मरुधर केसरी मिश्रीमल की 128वीं जन्म-जयंती जप-तप, आराधना और सामूहिक सामायिक साधना के साथ मनाई जाएगी। 26 अगस्त को प्रात: 8 से 9 बजे रक्षाबंधन के अवसर पर एएमकेएम महिला मंडल के तत्वावधान में बेस्ट होममेड राखी, थाली सजावट, मेहंदी मांडने जैसी विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।