तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी की अनुज्ञा से पर्युषण महापर्व की आराधना कराने के लिए तेरापंथ सभा भवन में उपासक श्री पदमचंद आंचलिया (चेन्नई) ने कहा कि -एक बिंदु पर अपने चित को केंद्रित करना ध्यान है| ज्ञान, दर्शन, वीर्य ,आनंद ये आत्मा के मूल चार गुण हैं, इनको विस्तार से समझाया| आत्मा को आव्रत करने वाले कर्मों का क्षय होने पर ही हमें मोक्ष की प्राप्ति होती हैं| हमें धर्म यानि संयम, अहिंसा , तप की सम्यक् आराधना करनी चाहिए! संवत्सरी महापर्व के दिन हमें उपवास और 8 प्रहरी, 6 प्रहरी या 4 प्रहरी पौषध करने की प्रेरणा दी| तपस्या की विशेषताओं के बारे में बताया|
उपासक श्री स्वरूपचन्द दाँती (चेन्नई) ने कहा कि पर्युषण महापर्व हमें अपने जीवन का सार निकालने की प्रेरणा देते हैं! हमें संघ से बहीर भूत व्यक्ति को कभी भी प्रश्रय नहीं देना चाहिए| देव, गुरु ,धर्म के प्रति अपनी आस्था को मजबूत बनाएं रखनी चाहिए| महावीर के तीसरे भाव से 17 भव की यात्रा का वर्णन करते 16वें विश्वभूती के भव में महावीर के जीव ने निदान का प्रायश्चित नहीं करने पर भव भ्रमण को बड़ा लिया और नये कर्मों का बन्धन करने पर कहा कि हमें अपने जीवन में आलोयणा जरूर लेनी चाहिए! तीर्थकर के प्रतिनिधि आचार्य श्री महाश्रमणजी से अपने पूर्वकृत पापों की आलोयणा लेकर अपने आप को आराधक बनाना चाहिए| आलोयणा के द्वारा भव भ्रमण को कम कर सकते हैं!
उपासक श्री राजमल बोहरा (बंगलूर) ने कहा कि ध्यान के हेतु हैं – वैराग्य, तत्व विज्ञान, निग्रंथता, समचित्तता, परिषहजय| ध्यान से तनावमुक्त, मनः प्रसाद , संवेग र्नियंत्रण, संतोष , अंतर्दृष्टि का विकास होता है!
आज कार्यक्रम के अंत में सम्मान समारोह रखा गया!
जिसमें मंडिया की सबसे पहली उपासिका बहनें श्रीमती मधुलता कोठारी, श्रीमती ललिताबाई भंसाली, मेघावी छात्र सोनाली खिवसरा, रक्षा गोखरू, दिया भंसाली, यशांक भंसाली, ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका मधु कोठारी, ललिता भंसाली, बेबीबाई गिरिया, किरण भटेवरा, डिंपल भंसाली , नमिता भंसाली, हेमा सेठिया , संतोष भंसाली का का तेरापंथ सभा, महिला मंडल, युवक परिषद्, अणुव्रत समिति, एवं अन्य सभी संघीय संस्थाओं की ओर से सम्मान किया गया! ज्ञानशाला के बच्चों एवं कन्या मण्डल की कन्याओं ने गीतिका की प्रस्तुति, सभा अध्यक्ष श्री प्रकाश भंसाली ने सभी का परिचय दिया! तपस्वीयों ने तपस्या का प्रत्याख्यान किया| सभा मंत्री श्री भंवरलाल गोखरू ने कार्यक्रम का संचालन किया!
स्वरूप चन्द दाँती
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति