डॉ गादिया ने नैत्र सम्बन्धित रोग और बचाव के बताये उपाय
तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में संम्बोधि पुस्तक पर विशेष पाथेय प्रदान करते हुए मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार कहा कि आज व्यक्ति धर्म का सम्बन्ध भौतिक सुख की प्राप्ति में जोड़ देते हैं, लेकिन धर्माचरण का फल भौतिक सुख सम्पदा की प्राप्ति नहीं अपितु आत्मिक गुणों का विकास होता हैं| धर्म का फल हैं – संतोष, धृति, क्षमा का विकास|
मुनि श्री ने आगे कहा कि जीवन में सुख दुःख का आना अपने पुर्व अर्जित पुण्य एवं पाप के कारण होता हैं| वर्तमान में धर्माचरण से इसका कोई सम्बन्ध नहीं हैं| धर्म का फल हैं आत्मोदय| धर्म से ज्ञान, दर्शन, चारित्र की प्राप्ति होती हैं| धर्म से सहज आनन्द की अनुभूति होती हैं| धर्म का शुद्ध आध्यात्मिक लाभ मोक्ष की प्राप्ति होती हैं|
मुनि श्री ने आगे कहा कि तेरापंथ के दशमाचार्य श्री महाप्रज्ञजी द्वारा लिखित संबोधि पुस्तक में भगवान महावीर और मुनि मेघकुमार के मध्य संवाद का विस्तृत विवरण प्राप्त होता हैं, इसका स्वाध्याय करने से धर्म की गहरी समझ प्राप्त हो सकती हैं|
कार्यक्रम में प्रसिद्ध डॉ विमला सोहनराज गादिया के सुपुत्र डॉ श्री ललीत गादिया ने नैत्र सम्बन्धित बिमारीयों की पावर पाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी देते हुए, उससे बचाव और इलाज के साथ “बिमारी ही नहीं हो इसके बारे में विस्तार से बताया|”
तपोभिनन्दन
सुश्री तितिक्षा सुपुत्री राकेशजी रांका पल्लावरम् एवं श्रीमती रोशनी चिराग सेठिया नार्थ टाउन ने मुनि श्री से अठाई तप का प्रत्याख्यान किया| सभा द्वारा डॉ गादिया ने तपस्वी बहनों को अभिनन्दन पत्र प्रदान कर बहुमान किया| तेरापंथ सभा मंत्री श्री प्रवीण बाबेल ने मंच संचालन, आभार ज्ञापन देते हुए डॉ गादिया को मोमेन्टों प्रदान कर सम्मानित किया|
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति