चेन्नई. राजेंद्र भवन के प्रांगण में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य विमलसागरसूरि ने कहा कि निष्ठावान एक भी काम का होता है लेकिन निष्ठाहीन हजार भी बेकार हैं। धर्म समाज और राष्ट्रहित में संगठित होकर आगे आओ। वे ३७ वर्ष बाद अपनी दीक्षा भूमि चेन्नई आए हैं।
उन्होंने कहा समर्थ व्यक्ति राष्ट्र, धर्म और समाज के विकास में प्रामाणिक योगदान होना चाहिए। सामूहिक प्रयास से ही सफलता मिलेगी। व्यक्तिगत सफलताओं का अधिक महत्व नहीं होता। वे सिर्फ कुछ लोगों के लिए ही सुखद हो सकती हैं। जबकि सामूहिक सत्प्रयास हजारों-लाखों की जिंदगी को रोशन कर सकता है।
उन्होंने कहा चमत्कारों के पीछे अंधे बनकर अनेक लोग इधर-उधर भटक रहे हैं। हकीकत में तो धर्मतत्व को समझकर ही मनुष्य गुणवान व साधक बन सकता है। लालची व्यक्ति कभी न कभी छला ही जाता है।