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धर्म जाती से नहीं बल्कि श्रद्धा से होती है जुड़ी: साध्वी सिद्धिसुधा

धर्म जाती से नहीं बल्कि श्रद्धा से होती है जुड़ी: साध्वी सिद्धिसुधा

चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने उत्राध्यान सूत्र के माध्यम से कहा कि सूत्रों का जीवन मे बहुत महत्व होता है। इन्ही सूत्रों के माध्यम से महान लोगो ने अपने जीवन को मोक्ष पर पहुचा दिया। अगर कोशिश की जाए तो हम भी मोक्ष के मार्ग पर पहुच सकते हैं।

उसके लिए थोड़ा समय धर्म के लिए निकलना होगा। साध्वी सुविधि ने कहा कि आज हम 12 उपांग में पहुच चुके है। ऐसे देखा जाय तो हमारा अंग ही उपांग है। अब तक हम सब 11 अंग के बारे में सुन रहे थे अब उपांग में पहुंच कर मोक्ष के बारे में जानेंगे।

उपांग सूत्र में समोसरण और उपभाग का वर्णन हुवा है। इसको पड़ने के बाद मनुष्य के जीवन मे धीरज, शांति और गम्भीरता आती है। जब मनुष्य कोई सूत्र पड़ता है तो ऐसा लगना चाहिए कि वह उस जगह पर पहुच गया है जहा का सूत्र में वर्णन है।  ऐसा सिर्फ परमात्मा के प्रति सच्ची लगन की वजह से होती है।

उन्होंने कहा कि  इस सूत्र में मनुष्य को पता चल जाएगा कि क्या करने से स्वर्ग और क्या करने से नर्क गति में जाते हैं। अगर सही से अध्यन कर लिया जाए तो नर्क के मार्ग अपने आप ही बंद हो जाएंगे। पहले के समय मे कोई जात पात नहीं था जिसको जो अच्छा लगता था वह वो बन जाता है।

अगर किसी को पूजा पाठ अच्ची लगी तो वह ब्राह्मण बन जाता है। लेकिन आज के समय मे सब कुछ बट गया है। परमात्मा कहते हैं कि धर्म जाती से नहीं बल्कि मनुष्य के श्रद्धा से जुड़ी होती है। जाती और कुल कोई भी हो उससे धर्म का पता नही  चलता है। बल्कि भाव, श्रद्धा और विचारों से व्यक्ति के धर्म का पता चलता है।

उन्होंने कहा कि इस सूत्र का अध्यन अगर सही से कर लिया जाय तो सब कुछ पता चल जाएगा। वर्तमान में नर्क में कोई नहीं जाना चाहता है। सब चाहते है कि उन्हें स्वर्ग मिले। सोच भले ही स्वर्ग में जाने की हो पर लोगो की क्रिया नर्क में जाने वाली है। जब तक क्रिया नही बदलेगी तब तक नर्क के मार्ग नहीं बंद होंगे।

उन्होंने कहा कि परमात्मा ने फरमाया है कि जीवन सुंदर बनाने के लिए मनुष्य को सागर से भी ज्यादा गंभीर बनना चाहिए। सागर में कितने ही जीव आये और जाए लेकिन उसकी गंभीरता खत्म नहीं होती है। उसी प्रकार जब मनुष्य सागर जैसे गम्भीर होकर शांत रहेगा तो वह मोक्ष को पा लेगा।

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