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ज्ञान वाणी

धर्म उमंग से होता है उम्र से नहीं: गौतममुनि

धर्म उमंग से होता है उम्र से नहीं: गौतममुनि

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा धर्म ही मनुष्य को प्राण से प्यारा होना चाहिए, क्योंकि वही नैया पार लगाएगा। यह जीवन चार दिन का है इसके रहते ही आगामी जीवन सफल और सार्थक बना लेना चाहिए। जिनमें धर्म के प्रति लगाव होता है वे उम्र नहीं देखते क्योंकि धर्म उम्र से नहीं उमंग से होता है। उमंग नहीं है तो कम उम्र के लोग भी धर्म नहीं कर सकते।

जब मनुष्य का प्रबल पुण्य होता है तो ही उसे ऐसे मौके मिलते हैं। बहुत  भाग्यशाली लोग ही परमात्मा की वाणी सुन पाते  हैं । ऐसे उत्तम धर्म को पाकर उसका लाभ उठा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रकाश से जीवन को एक सुंदर मार्ग दिया जा सकता है। इस पर चल कर प्रत्येक मनुष्य अपनी मंजिल पाकर सफल हो सकते हैं। ऐसे जिन शासन में जन्म और गुरुओं का समागम मिलना पुण्य की बात है।

उमंग होने पर वृद्ध व्यक्ति भी आराम से धर्म के मार्ग पर चल सकते हैं। मनुष्य अगर तन मन और धन से चातुर्मास का लाभ लेता है तो धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ता है। ऐसे उत्तम कार्य करने वाले अपना जीवन पावन बना लेते हैं। परमात्मा ने जीवन को सुखी करने के लिए ही दया का उपदेश दिया है और जो दया करते हैं वे अपने जीवन को सुखी बना लेते हैं।

सागरमुनि ने कहा आचरण का जीवन में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। आत्मा के हित के  लिए मनुष्य को आचरण करना चाहिए। आचरण के मार्ग पर चल कर जीवन में बदलाव किया जा सकता है। मनुुष्य के अच्छा आचरण ही उसे धर्म की ओर खींचता है। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनंमल छल्लाणी व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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