Share This Post

ज्ञान वाणी

धन के साथ मिलावे धर्म का खाता : आचार्य श्री महाश्रमण

धन के साथ मिलावे धर्म का खाता  : आचार्य श्री महाश्रमण
माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सूत्र का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि कि जिस आदमी के मन में ईमानदारी के प्रति निष्ठा है, वह बहुत बड़ी आर्यता हैं। आचरणों में, व्यवहारो से, आर्य बनने का प्रयास करना चाहिए। अणुव्रत के अनुरूप आचार है, अणुव्रत के व्रत स्वीकार है, उनका पालन ठीक है, तो उस व्यक्ति में आर्यता हैं। अगर यह सब नहीं तो अनार्यता| दीपावली का प्रसंग है, धनतेरस का दिन हैं। यह दिन धन से जुड़ा हैं। धन से लक्ष्मी जुड़ी हैं। गृहस्थों के मन में धन पाने की इच्छा रहती हैं। धन के लिए देवी पूजा का महत्व हैं।
  धन के साथ धर्म का खाता भी अवश्य मिलावे
     आचार्य श्री ने आगे फरमाया कि आज धन तेरस का दिन है, एक पर्व है, उसका उत्साह होता हैं। आज के दिन धर्म स्थान में लोग बैठे हैं, वे केवल बाह्य – पदार्थ ही नहीं, धर्म को ग्रहण करने के रूप में बैठे हैं। हमारे जीवन में धर्म का धन रहे। और धन तो चोरी हो सकता है, कोई लूट सकता हैं। धर्म के धन के प्रति जागरूक रहें। धन की गिनती करते हैं, धर्म की भी गिनती हो, नवकारसी, पौरसी, उपवास, माला, जप, ध्यान की वृद्धि हो झूठ कपट न हो, रात्रि भोजन न हो, उसका भी हिसाब करें। पिछले वर्ष क्या था? इस वर्ष क्या है और क्या करना है? एक साल का खाता देखें। और खाते भी देखते हैं, धर्म का खाता भी देखे, तो धर्म के धन की दृष्टि से भी समर्थ सकते हैं।
दीपावली से सपृत यह दिन जो पर्व के रूप में हैं। दीपावली कार्तिक अमावस्या का दिन भगवान महावीर से जुड़ा है। इस दिन जो भी तेला या उपवास का तप कर मनावें। खाने वाले आज के दिन मिठाईयां भी खाते हैं। हम धर्म को भी न भूले, मंगल पाठ भी सुनें। और मंगल ठीक है, धर्म का भी मंगल रहेदीपावली के साथ आध्यात्मिकता को भी जोड़े। दीपावली के दिन लोगों में उत्साह रहता है, परिवार सहित गुरुदेव, चरित्र आत्माओं के दर्शन करने जाते हैं, मंगल पाठ सुनते हैं। सांसारिक काम के साथ धर्म भी साथ में हो। धनतेरस धर्म की दृष्टि से कल्याणकारी हो, या मंगल भावना है। धन के साथ धर्म का खाता भी अवश्य मिलावे।
   11 नई दीक्षाओं की कि घोषणा
  आगामी 11-11-2018 को चेन्नई में आयोजित दीक्षा महोत्सव में परमाराध्य आचार्य प्रवर ने आज धन तेरस के पावन अवसर पर 11 और नई दीक्षाओं की घोषणा की| जिसमें एक ही परिवार के चार भाई बहनों के साथ एक मुमुक्षु बहन और छ: समणीयों की साध्वी दीक्षा देने की घोषणा कर चेन्नई में अध्यात्म रूपी धन की बरसात कर जन मानस को आप्लावित कर दिया|
      मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। साध्वी श्री प्रमिला कुमारी जी ने फरमाया की जीवन यात्रा में अनेक अनुकूल – प्रतिकूल बातें घटित हो सकती हैं। नवीन बोहरा ने सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी। श्री धर्मचंद लुंकड़ ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी।
    *✍ प्रचार प्रसार विभाग*
  *आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*
स्वरूप  चन्द  दाँती
विभागाध्यक्ष  :  प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar