Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

द्रव्य अहिंसा से पहले भाव अहिंसा को समझें: आचार्य विमलसागर सूरी

चेन्नई. सोमवार को आचार्य वर्धमानसागर के सान्निध्य में आयोजित धर्मसभा में आचार्य विमलसागर सूरी ने कहा द्रव्य अहिंसा से अधिक भाव अहिंसा महत्वपूर्ण है। भगवान महावीर के अहिंसा के रहस्यों को समझना चाहिए। सिर्फ धन खर्च कर अहिंसा को जिलाना असंभव है।

मन परिवर्तन करके ही अहिंसा को दीर्घजीवी या शाश्वत बनाया जा सकता है। जैनाचार्य ने आगे कहा आज चारों तरफ हिंसा का बोलबाला है। विविध प्रकार की इन हिंसाओं के मूल में कहीं न कहीं अज्ञान, मोह और स्वार्थ छिपा है। इसें कम करने या रोकने के लिए भाव अहिंसा का परचम लहराना होगा।

समझदार लोगों को भाव अहिंसा के लिए समर्पित होकर वर्तमान व्यवस्थाओं को बदलना होगा। सिर्फ कुछ जीवों को मरने से बचाने, गौशाला या पिंजरापोल बना देने से हिंसा को कम नहीं किया जा सकता।

अरबों के दान के बाद भी कत्लखाने बढ़े हंै, मांसाहार बढ़ा है, मांस निर्यात बढ़ा है। हिंसा और हिंसक मानसिकता बढ़ी है इसलिए मजबूत उपाय ढूंढऩे पड़ेंगे। बुधवार को कोरुक्कुपेट में आचार्य विमलसरी का विशेष प्रवचन होगा।

चेन्नई आचार्य की दीक्षा भूमि है, वे 37 साल बाद यहां आए हैं। आरंभ में वर्धमानसूरी ने मंगलाचरण किया। गणि पद्मविमलसागर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar