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दो आध्यात्मिक धाराओं का मिलन

दो आध्यात्मिक धाराओं का मिलन

डॉ वरुण मुनिश्री म. सा. एवं साध्वीश्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी का सौहार्दपूर्ण मिलन

आत्म साधना शिविर साधकों को दिया सम्बोधन

पुलल, चेन्नई ; आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञाजी ठाणा 6 प्रात: जैन तेरापंथ नगर, माधावरम् से विहार करके केसरवाड़ी जैन तीर्थ पधारे।

केसरवाड़ी में विराजित स्थानकवासी आचार्य शिवमुनि जी के सुशिष्य मुनि श्री डॉ वरुण जी म. सा. से आध्यात्मिक मिलन हुआ। साध्वीवृन्द और मुनिवृंद ने आपस में अभिवादन किया। इस अवसर पर मुनिवृंद के सान्निध्य में चल रहे आत्म साधना शिविर के साधकों को भी सम्बोधित किया।

  डॉ वरुण मुनिश्री म. सा. ने कहा कि ध्यान पद्धति के पुनरुद्धार में आचार्य महाप्रज्ञजी का बहुत बड़ा योगदान है। मैंने जब जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय से अध्ययन किया था, तब साध्वीश्रीजी उस समय समणी अवस्था में कुलपति थी।

मुनि श्री ने जैन सिद्धांतों और ध्यान के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे गुरु आचार्य शिवमुनिजी, आचार्य तुलसी के जनोपयोगी अवदानों की बहुधा बाते करते रहते है, आचार्य महाश्रमणजी के सामुहिक संवत्सरी मानने एवं अन्य कार्यों का उल्लेख करते रहते हैं।

साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञाजी ने मुनिश्री के सरल, विनम्र स्वभाव की प्रसंशा करते हुए कहा कि आपने साहुकारपेट चातुर्मास काल में धर्म की विशेष गंगा बहाई। हम सब जो यह कार्य करते हैं, ये सारे उपक्रम जीनशासन की प्रभावना करने वाले हैं। हम तेरापंथ, स्थानकवासी, मूर्ति पूजक से पहले महावीर पंथी है।

साध्वी श्री ने साधकों को जैन आगम में उल्लेखित ध्यान साधना पद्धति को नवीन रुप से आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा प्रवत्तित प्रेक्षाध्यान के बारे में बताया। प्रेक्षाध्यान की उपसंपदाओं के साथ जुड़ने की प्रेरणा दी और कहा कि ध्यान के साथ आहार संयम होने से शरीर तो सही रहता ही, मन प्रसन्न रहता है, साधना भी सध जाती है। ध्यान साधना में प्रवृत साधक आत्मोन्नति कर सकता है। वह सरल, शांत, स्वस्थ जीवन शैली से जीवन यापन करता है।

  मुनि श्री और साध्वीश्री ने जैन समंवय, जैन एकता इत्यादि विषयों के साथ भगवान महावीर के अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह के सिद्धांतों का मानव कल्याण के योगभूत, उपयोगिता पर भी विचारों का आदान प्रदान किया।

अभातेयुप उपाध्यक्ष श्री रमेश डागा ने अपने विचार व्यक्त किये। शिविर संयोजक सज्जनराज जैन ने अपने विचार रखते हुए तेरापंथ के मर्यादा, अनुशासन की सराहना की।

ज्ञातव्य है कि मुनिवृंद के सान्निध्य में यहां चार दिवसीय आत्म साधना शिविर चल रहा है, जिसमें 80 साधक साधना में सलग्न हैं। इस अवसर पर अनेकों श्रद्धालु श्रावक समाज उपस्थित थे। उपरोक्त जानकारी स्वरूप चन्द दाँती ने दी।

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