चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा जो मनुष्य समय रहते समय और सांसों की कद्र कर लेते हैं उनका जीवन महान बन जाता है। ऐसा नहीं करने वालों के पास सिर्फ पश्चाताप रह जाता है और वे जीवन में कुछ अलग कार्य नहीं कर पाते।
समय रहते लोग गलत कर्म करते हैं जब उसके परिणाम सामने आते हैं तो रोते फिरते हैं। जैसे मकड़ी अपने मुंह की लार से जाल बुनती है और अगर कोई मक्खी उसमें फंसती है तो मकड़ी प्रसन्न होती है। लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है जब मकड़ी अपने बनाए जाल में खुद ही फंसकर मर जाती है।
महावीर भगवान कहते है कि अगर हो सके तो दूसरों के प्रति अच्छा करो और न हो सके तो किसी का बुरा कभी मत करो। जैसा कर्म, वैसा ही फल मिलता है। भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती, यदि सजा हो जाए तो कभी जमानत नहीं होती। संसार के अंदर तो मनुष्य सच्चे को झूठा और झूठे का सच्चा कर सकता है।
पैसे की ताकत से सच्चे व्यक्ति को भी सजा हो जाती है लेकिन भगवान की अदालत में सजा वही भोगता है जिसने दोष किया है। समय बहुत बलवान होता है इसलिए समय रहते ही इसकी कीमत समझ लेनी चाहिए।
जिस इंसान की सोच सच्ची होती है उसे आने वाले समय में अच्छा ही मिलता है। समय ऐसा होता है कि कब कैसे बदल जाए किसी को पता नहीं होता। महान लोगों की यही पहचान होती है कि वे लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहते है।