चेन्नई. शुक्रवार को विल्लीपुरम जैन स्थानक भवन में उपस्थित भक्तों को श्रमणसंघीय उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने उद्बोधन दिया।
उपाध्याय श्रीजी ने कहा कि घर-परिवार, समाज, देश में शांति चाहते हो तो अपने दुश्मन की भी शांति के लिए प्रार्थना करो।
दुश्मन शांत रहेगा तो वह अपने जीवन में उपद्रव नहीं करेगा। दु:खी व्यक्ति ही दु:ख देता है। सुखी व्यक्ति दु:ख नहीं दे सकता। जहां हम भगवान के प्रसन्न रहने की बात करते हैं वहां दुश्मन के शांति की कामना करनी चाहिए। क्योंकि भगवान के पासजाने पार शांति, प्रसन्नता मिलेगी ही मिलेगी।
घर परिवार मेें शांति, प्रसन्नता की चाह है तो अपने घर से डर को निकाल देना चाहिए। डरानेवाला दुश्मन होता है, और जो डरता है वह डराने वाले को बददुआ देता है। घर में मंगल की अनुभूति तभी होगी जब डर निकल जाएगा। जिसको डराया जाता है वह बिगड़ जाता है। जो अभय के साथ जीता है, निडर होकर जीता है वह जीवन में सफल होता है। इसलिए घरवालों को नहीं डराना चाहिए।
डरनेवाले को आत्मविश्वास कभी नहीं बढ़ता। उसका आत्मविश्वास कमजोर होता जाता है। अपने परिवार में अभय का, प्रेम का वातावरण निर्माण करो। परमात्मा ने कहा है कि दानों में सर्वश्रेष्ठ दान अभयदान है।
उपाध्यायश्रीजी का विल्लीपुरम में तीन दिवस का प्रवास रहेगा। चेन्नई की प्रिया कर्णावट यहां पर गुरुदेव के सानिध्य में सुखी दाम्पत्य जीवन का प्रशिक्षण तीन दिन देंगी।