चेन्नई.
सईदापेट जैन स्थानक में विराजित ज्ञानमुनि ने कहा आश्विन (आसोज) के महीने में आत्मसाधना के लिए नवपद ओली की आराधना करते हैं। मुनि ही क्या सामान्य व्यक्ति भी इस तप की आराधना में अनंत कर्मों का क्षय कर पर सुख प्राप्त कर लेता है। नवपद ओली मन, वचन, काया को तो ठीक करती ही है आत्मा को भी पूर्ण शुद्ध कर देती है। अरिहंत सिद्ध की आराधना करते हुए एवं भक्ति-श्रद्धा में जीवन डुबोते हुए चलें, निश्चित ही एक दिन अरिहंत सिद्ध बन जाएंगे। सब कर्मों का नाश हो जाएगा। भगवान आते हैं बुलाने वाला चाहिए। मन में दया, सरलता, प्रेम, श्रद्धा-भक्ति का समर्पण होगा तो निश्चित ही भगवान आएंगे। मुनि ने कहा भाई-भाई एवं सास-बहू लड़ रही हैं, ऐसे घर में भिखारी भी नहीं आएगा, वह भी भाग जाए तो उस घर में भगवान कैसे आएंगे। जब आत्मा सरलता, सहजता, कोमलता, पवित्रता आएगी तभी परमात्मा आएंगे। मुनि ने बताया कि स्नान, प्रश्न पूछना, गायन, भाषण, पढ़ाई, खेल, सत्कार, शृंगार इन आठ बातों में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। संघ मंत्री राजेंद्र लूंकड़ ने बताया कि एक अक्टूबर को आचार्य ाूधर की जन्म जयंती मनाई जाएगी। प्रवचन का समय दोपहर दो बजे से रहेगा।