रविवार से मंगलवार त्रिदिवसीय चातुर्मास के अंतिम दिवसों को कृतज्ञता, बधाई अभिनंदन व विधाई दिवस के रूप में मनाया गया इन तीन दिनों में हर कोई अपना अनुभव को अपने गीली गीली आखों के अश्रुमय भाव से क़रीबन 25-30 श्रावक व श्रविकाओं ने अपने मन की बात कहीं ! हमे येक तरफ़ से बहुत आनंद हो रहा था की हमने इस चातुर्मास को बहुत ही आनंद से जप तप त्याग से मनाया व ग़म इस बात की होरही की हम से विदा लेने का समय आगया क्या कर सकते यह येक व्येवस्था है !
साधु संत बहते पानी के समान है बस जिधर भी जाये वहाँ का वातावर्ण धर्ममय सौहार्धता को बनाकर आगे के तरफ़ बड़े चले जाते हैं ! हमारा यादगिरी संघ धन्य व पुण्यशाली हैं जो अइसे मिलनसार महासतीजी म.सा.जी का चातुर्मास प्राप्त किया हम सभ यही मंगल भाव रखते हैं आगे महासतीजी का विहार शांतिपूर्ण सुखसाता के सात गति मान रहें इसी सुभ मंगल भाव के सात गौतमचंद धोका जैन श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ यादगिरी (कर्नाटका)