किलपॉक स्थित कांकरिया निवास में विराजित मुनि तीर्थ तिलक विजय ने कहा जीवन क्षणभंगुर है। उम्र प्रतिपल, प्रतिक्षण निकलती जा रही है। जन्म और मृत्यु में कोई फासला नहीं है। यह जीवन बहुत छोटा है। जो सुख हमारे अंदर है उसे पाने के लिए हम चारों ओर ढूंढते हैं तब तक जीवन का अंतिम पड़ाव आ जाता है।
तीन प्रकार के सत्य में से सर्वकालीन सत्य ही सच है। संसार का हर सुख झूठा है। संसार कचरे के पीछे पागल है। जो सुख हमें चाहिए वह वैराग्य व विरक्ति में है। संसार का हर सुख नश्वर व क्षण भंगुर है। त्याग का सुख ही सर्वश्रेष्ठ है। संसार में जीने का पुरुषार्थ बंद कर दो अपने आप जीने से विरक्ति मिल जाएगी। हमें हमारी चेतना को जाग्रत करना है।
परमात्मा का मार्ग सच है। शरीर की आसक्ति के कारण संसार में पड़े हो। जो संसार आपको कायम रखने के लिए तैयार नहीं है उस मोहदशा को लेकर क्यों बैठे हो? मृत्यु कैसी होगी यह पता नहीं पर एक दिन सबको आनी है। मनुष्य जैसे भाव करता है वैसे ही कर्मसत्ता आगे बढ़ती है।