Share This Post

ज्ञान वाणी

तीर्थंकर व अरिहंत मंगल रूप होते हैं: साध्वी मंयकमणि

आरकाट के जैन स्थानक में विराजित साध्वी मंयकमणि ने कहा कि तीर्थंकर व अरिहंत मंगल रूप होते हैं। मंगल की शरण लेने पर अमंगल भी मंगल हो जाता है।

अगर मंगल की शरण नहीं लेते है तो जीवन के जो मंगल है वे भी अमंगल बन जाते है इसलिए अरिहंतों के शरण लेना बहुत जरूरी है क्योंकि ये मंगल हैं और लोक के लिए उत्तम हैं।

हम उस व्यक्ति की शरण चाहते या लेते हैं जो स्वयं किसी अन्य की शरण ले रहा है। हम उस निर्भर रहते हैं जो स्वयं दूसरों पर निर्भर है। हम उनसे सहयोग लेते हैं जो खुद ही दूसरों का सहयोग रहे होते हैं।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar