चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा तप भारतीय संस्कृति का प्राण है। हर धर्म में तप करने की अलग-अलग विधि है।
लोग अपनी परंपरा एवं समझ के अनुसार तप-त्याग करते हैं। इच्छाओं एवं कामनाओं को नियंत्रित करना ही तप है। साध्वी ने कहा जैन दर्शन में तप को एक अलग एवं विशेष महत्व दिया गया है। वैसे तो जब भी तप करें तभी कल्याण है लेकिन वर्षावास में विशेष रूप से अभी आबाल वृद्ध, नर-नारी व युवा तप करने में रुचि रखते हैं।
साध्वी ने कहा आदिनाथ भगवान से शुरू हुई यह तप सरिता आज भी अक्षुण्ण रूप से प्रवाहित हो रही है। इसी तप शृंखला में माधुरी कोठारी ने तीस उपवास पूरे किए हैं। संजय दुगड़ ने बताया कि साध्वीवृंद साक्षीज्योति व पूजाज्योति के अलावा आचार्यवृंद मुक्तिप्रभसूरीश्वर व विनीतप्रभसूरीश्वर के सान्निध्य में 14 अगस्त को सवेरे 9.15 बजे से मरुधर केशर मिश्रीमल एवं वरिष्ठ प्रवर्तक रूपचंद की जन्म जयंती तप-त्याग मनाई जाएगी।
गुरुदेवों की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिन मंगलवार को सामूहिक जाप होगा। एसवीएस जैन संघ, नवकार युवक मंडल व श्री जैन श्राविका मंडल के सदस्य तैयारी में जुटे हैं। ललित मकाना ने बताया कि जयंती समारोह में अनेक गणमान्य लोग हिस्सा लेंगे।