Share This Post

ज्ञान वाणी

टांग उसी की खींची जाती है,जो अपने पैरों पर खड़ा है: मुनि संयमरत्न विजयजी

टांग उसी की खींची जाती है,जो अपने पैरों पर खड़ा है:  मुनि संयमरत्न विजयजी

चैन्नई के मिंट स्ट्रीट स्थित श्री दियावट पट्टी जैन प्रवासी संघ के तत्वावधान में ‘दियावट भवन’ का उद्घाटन आचार्य तीर्थभद्रसूरिजी व आचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी के सुशिष्य मुनि संयमरत्न विजयजी,श्री भुवनरत्न विजयजी के पावन सान्निध्य में संपन्न हुआ।

आचार्य तीर्थभद्रसूरि जी ने कहा कि हमारे शरीर को कोई कष्ट न हो ऐसे मनोरंजन के साधन हमने बहुत बसा लिए हैं,लेकिन परमात्मा के वचनों को हम अपने भीतर उतारेंगे, तभी हमें परम शांति मिलेगी।रहवासी व निवासी में खटपट होती है,किंतु प्रवासी में खभी खटपट नहीं होती।अस्थायी जीवन में धर्म की प्रवृत्ति बनी रहनी चाहिए। मुनि संयमरत्न विजयजी ने कहा कि जिन्हें सपना देखना अच्छा लगता है,उन्हें रात छोटी लगती है, पर जिन्हें सपना पूरा करना अच्छा लगता है, उन्हें दिन भी छोटा लगता है।

पहले हर अच्छी बात का मजाक उड़ाया जाता है,फिर उसका विरोध होता है और अंत में उसे स्वीकार कर लिया जाता है।इस कलियुग में जहाँ संगठन हैं, वहीं पर शक्तियाँ रहती है।टूटता वही है,जो बिखरा होता है,संगठित लोगों को कोई तोड़ नहीं सकता।उंगलियां सभी अलग-अलग होती है,पर जब अंगुलियां एक हो जाए तो मुट्ठी बन जाती है,जो अच्छों-अच्छों की छुट्टी कर देती है।निंदा उसी की होती है,जो जिंदा होता है।

मरने के बाद तो सभी मुर्दे आदमी की प्रसंशा करते हैं।पत्थर उसी पेड़ पर फेंका जाता है,जिस पर मीठे-मीठे फल लगे होते हैं और टांग उसी की खींची जाती है,जो अपने पैरों पर खड़ा होता है।दुनिया में कहने वालों की कमी नहीं अपितु सहने वालों की कमी है।जीवन में उतार- चढ़ाव का आना तय है।अगर खुद पर भरोसा हो तो हर परेशानी छोटी दिखाई देने लगती देती है।’दीयावट’ शब्द में ‘दीया’ याने दीपक और ‘वट’ याने बाती।बिना बाती के दीपक की शोभा नहीं और बिना दीपक के बाती की शोभा नहीं।

जिस प्रकार दीया और बाती मिलकर प्रकाश फैलाते हैं, उसी प्रकार हम भी मिलकर एकता का प्रकाश फैलाए तो निश्चित ही हमारा विकास हो सकता है।पट्टी जैसे सीधी होती है,वैसे ही हम भी सीधे चले तो सिद्ध बन सकते हैं।सांँप बाहर टेढ़ा-मेढ़ा चलेगा,लेकिन बिल में जाने पर वह सीधा हो जाता है।वैसे ही हम भी बाहर कितने ही टेढ़े-मेढ़े चले,पर अपने घर में आते ही सीधे हो जाने में हमारी भलाई है। इस मौके पर चंपालाल रांका, विमल भंसाली,दलीचंद संघवी,जयंतीलाल संघवी,व  गौतम बालगोता ने अपने भाव प्रकट किये।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar