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झूठ का कोई आधार नहीं होता: जयधुरंधर मुनि

झूठ का कोई आधार नहीं होता: जयधुरंधर मुनि
जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में एवं जयधुरंधर मुनि आदि ठाणा 3 के सानिध्य में वेपेरी स्थित जय  वाटिका मरलेचा गार्डन में चल रहे 12 वर्तों शिविर के अंतर्गत श्रावक के दूसरे व्रत का विवेचन करते हुए बताया गया कि श्रावक को कभी ऐसा झूठ नहीं बोलना चाहिए जिससे सामने वाले को मरण तुल्य कष्ट हो।
झूठ बोलने वाले का कोई विश्वास नहीं करता। झूठ कभी टिका हुआ नहीं रहता क्योंकि उसका कोई आधार नहीं होता है। झूठ का प्रयोग कायरता का सूचक है। मोटा झूठ वह कहलाता है , जिसके साथ में हिंसा जुड़ी हुई है। जबकि एक छोटे झूठ में किसी प्रकार की मरण तुल्य कष्ट की बात नहीं होती ।
मुनि ने श्रावक के लिए विशेषकर पांच प्रकार के मोटे झूठ के प्रत्याख्यान की बात बताते हुए कहा कन्या के संबंध में विवाह के खातिर यदि कोई झूठ बोलकर रिश्ता तय करता है तो आगे भविष्य में उसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
झूठ एक ना एक दिन तो अवश्य ही प्रकट होता ही है। बाद में सच्चाई मालूम पड़ने पर रिश्तो में दरार आ जाती है, संबंध बिगड़ जाते हैं और तलाक तक की स्थिति पैदा हो जाती है। इसी प्रकार गाय की बिक्री कर पैसा कमाने के उद्देश्य से झूठ बोला जाता है तो अनेक गाय कत्लखाने में बेच दी जाती है। गौ हत्या का कारण वह मोटा झूठ बनता है। 
भूमि हड़पने के लिए अथवा दूसरों की भूमि बेचने के लिए अनेक व्यक्ति झूठ बोल देते हैं, इस कारण से जो असली मालिक होता है उसके जिंदगी की एक अचल और बड़ी संपत्ति चली जाती है।  इस कारण से उसको मानसिक सदमा पहुंचता है और वह दुखी होकर अवसाद में आत्महत्या तक कर सकता है।
इस हिंसा का कारण बनता है भूमि संबंधी बोला गया मोटा झूठ व्यक्ति झूठ बोल कर दूसरों की अमानत लूटने का प्रयास करता है लेकिन ऐसा करना न्याय और नीति के विरुद्ध है। दूसरों की धरोहर हड़पना अन्याय नहीं अत्याचार भी है। विश्वासघाती को महापापी की श्रेणी दी जाती है। पैसे रूपी 11वीं प्राण को हड़प लेने से सामने वाले के प्राणों का अंत हो जाता है।
मुनि ने 5 प्रकार के मोटे झूठ का उल्लेख करते हुए बताया कि कई ऐसे पेशेवर गवाह होते हैं जो मात्र पैसों के लिए झूठी गवाही देते हैं । परिणाम स्वरूप निर अपराधी को सजा हो जाती है।  उसके ऊपर झूठा कलंक लग जाता है और कभी मृत्यु दंड भी दे दिया जाता है।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए श्रावक मोटे झूठ का प्रयोग नहीं करता है। मुनि वृंद के मुखारविंद से 210 श्रावक – श्राविकाओं ने दूसरे व्रत के प्रत्याखायान ग्रहण किए।  संगीत एकासन के अंतर्गत आज 80 से अधिक तपस्वीयों ने सामूहिक एकासन तप किया।

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