वेलूर. यहां शांति भवन में विराजित ज्ञानमुनि ने कहा व्यक्ति के कर्म का परिणाम उसे भविष्य में नहीं बल्कि वर्तमान में ही मिलता है। व्यक्ति का जैसा कर्म होता है उसे परिणाम भी वैसा ही मिलता है। जैसे गुस्से का परिणाम व्यक्ति को वर्तमान में मिलता है, वैसे ही शांति का परिणाम भी उसे उसी समय मिलता है। कर्म कभी किसी के साथ भेदभाव की भावना नहीं रखता।
उसका निर्णय निष्पक्ष होता है। व्यक्ति को सजा व इनाम उसके काम के आधार पर ही मिलता है। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। व्यक्ति लाख गलती करने के बाद भी अगर अपने में सुधार चाहेगा तो कर्म उसे स्वीकार कर लेगा।
इसी प्रकार उसमें यदि लाख अच्छाई हो और एक गलती करेगा तो उसकी भी सजा मिलेगी। जीवन में सुधार चाहिए तो धैर्य के साथ लगे रहे। जीवन में सब कुछ विपरीत होने के बाद भी धैर्य से जीवन सुधर जाएगा।