चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने बुधवार को प्रवचन में जैन धर्म की शक्ति और इसकी विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि सबसे पहले हम भगवान महावीर के अनुयायी हैं, उनके उपासक हैं उसके बाद विभिन्न संप्रदायों को मानने वाले। संप्रदाय तो व्यवस्था मात्र है। उन्होंने दरकते रिश्तों पर एक प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि श्रावक-श्राविकाओं को धर्म और रिश्तों को निभाने के लिए भगवान राम, भरत, लक्ष्मण और उर्मिला के त्याग से प्रेरणा लेेने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समाज में रिश्तों में उतनी मधुरता नहीं दिखती जितनी अतीत में होती थी। आज का पुरुष पत्नी मोह में अपने मां-बाप, भाई-बहन और अन्य रिश्तों की उपेक्षा करने लगा है। आज का मानव अपनी मर्यादाएं भूलने लगा है, जो समाज के लिए ठीक नहीं है।
इससे पूर्व साध्वी महाप्रज्ञा ने कहा कि मानव जो मिला है आनन्द नहीं लेता है बल्कि जो नहीं मिला उसका अफसोस करता है। इन्सान अगर चिंतन करे तो आत्मा परमात्मा बन सकती है और चिंता करते तो चिता समान हो जाती है। मानव को चिंतन करना चाहिए कि जीवन बहुत छोटा है। जो समय बीत जाता है वह वापस लौटकर नहीं आता। चिंतन करना चाहिए कि जीवन की परिभाषा क्या है? जो इसकी परिभाषा समझ लेता है उसका कल्याण हो जाता है। यदि व्यक्ति अपने आप को परखने की कोशिश करते हो उसका हर पल सार्थक हो जाएगा और उसे कामयाबी हालिस होगी।
उन्होंने कहा इन्सान अपने जीवन में पाप करता जाता है और जब पुण्य का अवसर मिलता है तो वह उसे कल पर छोड़ देता है। इसलिए भगवान महावीर का संदेश है कि जागृत बनो, हर पल जागृत रहना चाहिए। आपके जीवन से मूच्र्छा दूर करने के लिए ही साधु-संत चातुर्मास करते हैं। इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह इस मानव जीवन रूपी अमृत को व्यर्थ नहीं गंवाए।
गुरु दिवाकर कमला चातुर्मास समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि गुरुवार सुबह 9.00 से 10.15 बजे तक अतिशय चमत्कारी कलयुग का कल्पवृक्ष भक्तामर स्तोत्र का अनुष्ठान रखा गया है। इस दौरान 5 उपवास का पचखाण लेने वाले यश रांका का सम्मान समिति के सदस्यों द्वारा किया गया। गुरु दिवाकर कमला वर्षावास समिति के चेयरमैन सुनील खेतपालिया, अध्यक्ष पवनकुमार कोचेटा, महामंत्री हस्तीमल खटोड़, माणकचंद खाबिया, महावीरचंद सिसोदिया, सुरेश डूंगरवाल, गौतम ओस्तवाल, एच महावीर समेत बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन श्रवण का लाभ लिया।