अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता व अन्य साध्वीवृन्द के सान्निध्य में शनिवार को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया गया। ‘भाई बहन का प्यार, रक्षा बंधन का त्यौहर’ विषय पर मनाए गए इस पर्व में बहनों ने साध्वीवृन्द के समक्ष भाइयों की कलाई पर राखी बांधी।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस दौरान लकी ड्रा के स्वर्ण राखी के विजेता व 10 रजत राखियों के विजेताओं को राखी प्रदान की गई। सबसे बड़ी राखी निर्माता का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के सहयोगी परिवार का अभिनंदन व सम्मान किया गया।
साध्वी कुमुदलता ने रक्षा बंधन पर विशेष प्रवचन में कहा हमारी भारतीय संस्कृति पर्व और त्यौहारों की संस्कृति है। यहां विभिन्न प्रकार पर्व-त्यौहार मनाए जाते हैं और हर त्यौहार के साथ परंपराएं व इतिहास जुड़ा हुआ है। सावन महीने में मनाए जाने वाले रक्षाबंधन पर्व की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा इस पर्व का महत्व रक्षा से जुड़ा हुआ है। महावीर स्वामी ने जीव रक्षा के लिए कई संदेश दिए तो श्री कृष्ण ने अपने हाथों में सुदर्शन चक्र और राम ने धनुष उठाया।
उन्होंने कहा, भाई-बहन के प्यार के प्रतीक इस पर्व से जीवन में स्नेह, ममत्व, वात्सल्य का भाव आता है लेकिन आज के दौर में इस पर्व को मनाने का तरीका अलग हो गया है। आज उपहार को प्राथमिकता दी जा रही है। आज पैसों के हिसाब से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा है जबकि यह प्यार, अनुराग, स्नेह वात्सल्य व रक्षा का प्रतीक है। हमें इसे पैसों से तुलना कर नहीं मनाना चाहिए। श्रावणी पूर्णिमा संदेश देती है कि इस पर्व को वात्सल्य और प्रेमभाव से मनाएं। राखी का हर एक धागा में प्रेम की डोर से बांधता है, अगर इसे पैसों से बांधोगे तो प्यार बंट जाएगा।
उन्होंने कहा रक्षा बंधन को लेकर कई परंपराएं हैं। जैन धर्म में मान्यता है कि मुनि विष्णुकुमार ने 700 साधु-संतों की रक्षा करते हुए उन पर हो रहे उपसर्ग को दूर किया था। वह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था और लोगों ने इसे याद रखने के लिए हाथ में डोरी बांधी, तभी से रक्षाबंधन मनाया जाता है। उन्होंने वैदिक धर्म में रक्षा बंधन की मान्यता के प्रसंग और पदमावती व हुमायूं की प्रचलित कथा का वर्णन किया।
उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से जीव दया का संकल्प लेने को कहा। साध्वी महाप्रज्ञा ने रक्षा बंधन से संबंधित मधुर गीतों से वातावरण प्रेममय बनाया। कार्यक्रम में गुरु दिवाकर कमला वर्षावास समिति युवा संघ, महिला मंडल व बहु मंडल का सराहनीय सहयोग रहा।
संत द्वय की जयंती आज मनाई जाएगी
उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि, उपप्रवर्तक विनयमुनि व साध्वी कुमुदलता के सान्निध्य में रविवार को मरुधर केसरी मिश्रीमल व शेरे राजस्थान रूपमुनि की जन्म जयंती मनाई जाएगी।