रायपुरम जैन भवन में जयतिलक जी मरासा ने फरमाया कि संसार में रहने वाली जीवों के लिए गृहस्थ धर्म का निरूपण किया जिसमें 12 व्रत है नवं व्रत का विवेचन हो चुका है। दसवाँ व्रत- इस व्रत में 14 नियम का पालन किया जाता है। जीवन को मर्यादित, परिमित करते है प्रमाद को प्याग कर आत्म लक्ष्य को ध्यान में रखकर पाप से निवृत्त होने की चेष्टा करता है! खाते, पीते सांसारिक भोग भोगते हुए भी आठ कर्मो से मुक्त होने का प्रयास करता है! जीव और अजीव के लक्षण ध्यान में रखना आवश्यक है। जीव-चेतना उपयोग लक्ष्ण रहित है।
जीव को अचित बनाने शस्त्र परिपात करना पड़ता है! अपकाय के सिवाय शेष वस्तुएं अचित होने के बाद सचित नहीं होती। उस अचित पदार्थ से आश्रित उसमें सचित जीवों के उत्पत्ति की संभावना है अतः उपयोग करते समय विवेक रखना! सचित में कंद, मूल, फल, फूल, बीज सहित फल, चावल छिलका सहित है तो सचित, निकालने के बाद अचित शेष सभी धान्य सचित है शस्त्र परिणत करने के पश्चात ही अधित होता है। अनाज भिगोने के बाद भी सचित है। धान धोया पानी 48 मिनट बाद अचित होता है।
अंगूर बीज रहित है तो कोई परम्परा में सचित कोई परम्परा में अचित है! इसी तरह केला भी केमिकल से पकाया जाता है इसलिए अचित माना जा सकता है! छोटी दाख को अचित माना है! वनस्पति को आजकल मशीन में सुखाया जाता है वह अचित है! अंकुरित अनाज निगोद की श्रेणी में आता है! यदि शस्त्र परिणत हो गया तो वह अचित है। अन्य सूखा फूल भी सचित है। सुपारी अखण्ड सचित है।
सुखा मेवा में बादाम छिलके सहित काजू (लाल छिलका) सचित है! आखा काजू बिना देखे खाने से मांसाहार का दोष लगता है! इसी तरह अखरोट को भी समझना है! वर्षाकाल में चना, मोठ आदि में जीव जल्दी पड़ते है अत: विवेक रखें। आखा धाणा, अजवाईन, मैथी आदि सचित है शस्त्र परिणीत होने के बाद ही अचित होता है। आखा नारियल, गोला सचित है टूकडा टूकडा होने के बाद अचित है!
धुंगारा हुआ वनस्पति सचित है। सुखा कर सांगरिया, गुंदा आदि अचित है! आखी हल्दी भी अचित है नमक सेकने से ही अचित होता है।
मंत्री नरेंद्र मरलेचा ने बताया कि पटाखे फोडने पर कई जीवों की हिंसा होती है और प्रदुषण भी फैलता है। इसलिए इस दिवाली पर रायपुरम के जो भी बच्चे पटाखे नहीं फोड़ेंगे उन्हें संघ की ओर से ईनाम दिया जायेगा।