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जीवन मे विनय गुण से महानता की प्राप्ति होती है

जीवन मे विनय गुण से महानता की प्राप्ति होती है

जैन सभा बठिंडा मे आयोजित भक्तामर अनुष्ठान मे भगवान आदिनाथ की स्तुति पर विवेचना की गई, आदिनाथ भगवान जैन धर्म के इस काल के धर्म की स्थापना करने वाले है उनके द्वारा की गई जप तप की साधना आज के युग मे सभी को महान प्रेरणा प्रदान कर रही है! तीर्थंकर बनकर उन्होंने अहिंसा सत्य ब्रह्माचरा अपरिग्रह का स्वरूप समझाया इस हेतू उन्होंने राज्य भार व सम्पदा का परितयाग कर दिया उपदेश देने मात्र से जीव का कल्याण नहीं होता जब तक उस उपदेश को जीवन मे आत्मसात -धारण नहीं किया जाता! जैनधर्म ने आचरण को ही धर्म स्वीकारा है!

आचार्य मानतुंग जी ख्याति प्राप्त विद्वान थे अनेक विधाओं के ज्ञाता थे फिर भी वे अपने आपको लघु व छोटा बताकर उन महापुरषो की साधना को उत्कृष्ट मानते है एवं अपने आपको अल्पज्ञ बुद्धिवाला उस बालक के समान प्रभु के सामने प्रस्तुत करते है। जो रात्रि काल की बेला पर चमकता दमकता हुआ आकाश मे चन्द्र देव के दर्शन करके प्रसन्नता का अनुभव तो करता है, साथ ही जल से भरे उस घड़े मे चन्द्रमा की छाया देखकर उसको पकड़ने के लिए बार बार हाथों से प्रयास करता है भला घड़े मे दिखने वाला चन्द्रमा किसी के हाथ मे कैसे आ सकता है!

हे आदिनाथ भगवान मैं भी उसी बालक की भांति आपको पाने के लिए प्रयास रत हूं! विनय गुण से धर्म की पहचान होती है, हर कार्य मे बड़ी वस्तुए ही काम मे नहीं आती सुई की जगह तलवार काम नहीं कर पाती, बड़ा भी तभी बन पाता है जब उसके सामने छोटे मौजूद है! घर परिवार समाज मे छोटों को लेकर चलने वाला ही मुखिया बन सकता है! साहित्यकार श्री सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा सम्पूर्ण विधि विधान के साथ भक्तामर प्रार्थना की गई साथ ही इसकी महत्ता बतलाते हुए कहा गया कि इसके स्मरण के साथ आध्यत्मिक साधना के साथ सामाजिक सांसारिक कार्य भी सम्पन्न होते है इसके प्रति मन वचन काया से पूर्ण आस्था की जरुरत है!

महामंत्री उमेश जैन प्रधान महेश जैन पुरषोतम जैन शिव कुमार जैन एवं प्रमोद जैन आदि ने तपस्विनी विनीता देवी का स्वागत महिला मंडल व युवती संघ से सम्पन्न करवाया! विनीता बहन ने सिर्फ गर्म जल के आधार पर 11व्रतो की तपस्या करके अपने परिवार व समाज का मान बढ़ाया ।

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