चेन्नई. न्यू वाशरमैनपेट स्थित जैन स्थानक में विराजित साध्वी साक्षीज्योति ने कहा पर्यूषण पर्व के आठ दिन वीतराग भाव जगाने एवं बंधन से मुक्त होने और जयवंत बनने के दिन हैं। जयवंत वह होता है जो स्वयं भी नहीं हारता और दूसरों को हराता भी नहीं है।
जिसकी यह सोच रहती है कि न तो मैं हारूंगा और न ही किसी को हराऊंगा। मैं भी सुखी रहूंगा और सामने वालों को भी सुखी रखूंगा। साध्वी पूजाज्योति ने कहा जिसके साथ आपका झगड़ा हुआ है और बोलचाल बंद हुआ है उसके साथ पहल करो, क्षमायाचना करो और उसे कहो तुम्हारा भी समय बर्बाद हो रहा है मेरा भी।
यही जीतने का तरीका है। मनमुटाव की जगह मन मिलन हो जाए। इससे दोनों की ही जीत है। एक दूसरे को हराने के लिए दोनों ही हारते चले जाते हैं। आज लोग दूसरों का हराने का प्रयास ज्यादा करते हैं जिताने का कम। घर-घर में यही खेल चल रहा है।
बाप-बेटे को और सास बहू को हराने के चक्कर में रहती है। जब परिवार में एक-दूसरे को हराने का खेल चलता हो तो समय आने पर वह परिवार हार जाता है।
यदि जयवंत बनने की सोच लेकर आगे बढ़ते हैं तो पर्यूषण पर्व मनाना सार्थक हो जाता है। संघ मंत्री गौतमचंद मेहता ने संचालन किया।