साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा जीवन को अध्यात्म से जोडऩे का लक्ष्य बनाने पर जो आनंद का अनुभव होता है। यह कहीं नहीं मिल सकता। समर्पण भावना से परमात्मा के चरणों में जाने वाला जीवन को ज्ञानी बना लेता है। जीवन को सफल बनाने के लिए परमात्मा के चरणों में समर्पित होना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा दया व्रत कर पर्यूषण पर्व का लाभ लेना चाहिए। परमात्मा की वाणी भाग्यशाली आत्मा को ही सुनने का मौका मिलता है। इसका लाभ लेने से पीछे कभी नहीं हटना चाहिए। अब तक दूसरों की बातें सुनी लेकिन अब परमात्मा की वाणी सुनकर जीवन को सजाने का अवसर आया है। प्रवचन सुनकर दूध में पड़ा हुआ बताशा जैसे घुल जाता है वैसे ही अपना जीवन बदल सकते हैं।
सागरमुनि ने कहा आचरण आत्मा को परमात्मा बना देता है लेकिन सबसे पहले श्रमण कर ज्ञानप्रकाश प्राप्त करें। आचरण का लाभ तप के बाद ही मिल पाता है। बिना तपाराधना के कोई भी आत्मा परमात्मा नहीं बन सकती। व्यक्ति अपने अच्छे आचरण से ही मंजिल पा सकता है।
पर्यूषण पर्व मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। इस मौके का फायदा उठाते हुए अपने भीतरी अंधकार को पहचान कर प्रकाश की ओर बढऩा चाहिए। इससे पहले उपप्रवर्तक विनयमुनि ने अंतगढ़सूत्र का वाचन किया।
बाद में महावीर के जीवन चारित्र पर एक नाटिका प्रस्तुत की गई जिसमें संस्कार मंच व जय महिला संस्कार मंच के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। धर्मसभा में संघ के अध्यक्ष आंनदमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।