चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि भक्ति के लिए परमात्मा के प्रत्यके शब्दों को जीवन में उतारना चाहिए। प्रवचन में टाइम पास के लिए नहीं बल्कि बदलाव के लिए आना चाहिए। परमात्मा की भक्ति और गुणानुबाद करते समय यह करना बहुत जरूरी है अन्यथा कोई लाभ नहीं मिलेगा।
धर्म क्रिया में समय वक्त व्यतीत करने पर अनंत भवों का लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि जीवन में कुछ पाने के लिए सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इससे जीवन मे आत्मिक सुख मिलता है। थोड़ी सी सावधानी भी जीवन को आगे बढ़ा सकती है।
सागरमुनि ने कहा कि मनुष्य को चारित्र और तप इसी भव में मिलेगा, इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ज्ञान की आराधना के साथ चारित्र की आराधना भी करनी चाहिए। यह जीवन एक बार गया तो वापस लौट कर नहीं आएगा। मनुष्य की आत्मा ही उसके सुख दुख का कारण है। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।