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जीवनरुपी डायरी में बुराईयों को मिटाएं, धर्मआराधना में समय लगाएं: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

जीवनरुपी डायरी में बुराईयों को मिटाएं, धर्मआराधना में समय लगाएं: साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी

तपस्वी काजल बाफना का किया सत्कार

बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला मेें गुरु दिवाकर केवल वर्षावास समिति के तत्वावधान में चातुर्मासार्थ विराजित विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका, ज्योतिष चंद्रिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने बुधवार को अपने दैनिक प्रवचन में कहा कि परमात्मा ने मनुष्य को बहुत सुंदर जीवन रुपी तीन पन्नों की डायरी दी है, जिसमें पहले पन्ने पर जन्म, आखिरी पन्ने पर मृत्यु व बीच के खाली पन्ने पर शुभकर्म अथवा अशुभ कर्म हैं।
जिसे मानव को भरना है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन को सार्थक करने के लिए बुराईयों की जगह अच्छाईयों से इसे भरना चाहिए। साध्वीश्री ने कहा कि इसी पन्ने पर परमात्मा का नाम, 24 तीर्थंकरों की स्तुति लिखकर धर्मसंघ में अपना अनूठा योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्राणी ने भी जन्म लिया उसे एक न एक दिन मृत्यु भी आनी है।
इससे पूर्व ही चिंतन करके धर्म आराधना, प्रवचन श्रवण एवं समय का सदुपयोग करते हुए उसे सार्थक कर लेना चाहिए। डाॅ.कुमुदलताजी ने कहा कि सांसारिक एवं भौतिकता में डूबकर व्यक्ति को जिंदगी के समय का भान नहीं रहता और वह तेरा-मेरा मेें ही उलझा है। उन्होेंने अनेक प्रसंगों के माध्यम से बताया कि इतिहास में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन्होंने शुभकर्म कर अपने-अपने जीवन की डायरी को अमर कर लिया।
मोक्षमार्ग पर अग्रसर होने के लिए दान, शील, तप व भावना की भी साध्वीजी ने व्याख्या की। शासनसिंहनी ने कहा कि जैनधर्म यानी जिनशासन में इतनी शक्ति है कि यह हर व्यक्ति को करोड़पति ही नहीं इस संसार का सबसे धनी अर्थात् संपन्न व्यक्ति बना सकता है, आवश्यकता विश्वास एवं पूर्ण श्रद्धा-भक्ति व आस्था की है।
साध्वीश्री ने इस अवसर पर आचार्यश्री हुक्मीचंदजी म.सा. के बचपन से लेकर संयम जीवन की विस्तार से गुणानुवाद के साथ विस्तृत व्याख्या की। साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने भजन प्रस्तुत किया। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने बताया कि व्यक्ति को हर क्षेत्र में संपदा व समृद्धिदायक बनाने के लिए गुरुवार को संतश्री हुक्मीचंदजी म.सा. के छंद का विशेष अनुष्ठान सामूहिक रुप से किया जाएगा।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने भी अपने विचार रखे। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि धर्मसभा में भरत कटारिया व सपना सुराणा ने गीतिकाएं प्रस्तुत की। विभिन्न प्रकार की तपस्याएं करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को पच्चखान कराए गए व समिति द्वारा तपस्वी श्राविका काजल बाफना का सम्मान किया गया।
उन्होंने बताया कि मुंबई, रतलाम, चेन्नई व इचलंकरजी से आए विभिन्न संघों के पदाधिकारियों का भी सत्कार किया गया। समिति के सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि जयजिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः रमेश गांधी, सरोजा बोहरा व सोनम छल्लाणी को पुरस्कृत किया गया। संचालन समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने किया। सभी का आभार समिति के कोषाध्यक्ष गुलाबचंद पगारिया ने जताया।

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