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जन्म जयंती व पुण्य स्मृति दिवस मनाया 

चेन्नइ. यहां रायपेट्टा में श्रीपुरम स्ट्रीट स्थित केशर बैंक्वेेट हॉल में कपिल मुनि के सानिध्य व श्री एसएस जैन संघ मीरसाहिबपेट के तत्वावधान में रविवार को मरुधर केसरी मिश्रीमल का 35वां पुण्य स्मृति दिवस व आचार्य हस्तीमल का 109वीं जन्म जयंती जप-तप की आराधना के साथ मनाया गया।
इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एकासन, आयम्बिल, उपवास आदि तपाराधना और 3-3 सामायिक साधना कर दोनों महापुरुषों के प्रति श्रद्धा अभिव्यक्त की। मुनि ने मरुधर केसरी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा जनमानस के बीच मरुधर केसरी मिश्रीमल उस दिव्य और भव्य महामना का नाम है जो जिनशासन के फलक पर सूरज की तरह चमकते रहे। वे जनमानस में व्याप्त अज्ञान के अन्धकार को छिन्न भिन्न करने वाले प्रकाशपुंज महामानव और जिनशासन के सजग प्रहरी थे।
उन्होंने संघ और समाज की बिखरी कडिय़ों को सदैव जोडऩे का कार्य किया। वे अहिंसा के आराधक और संघ समाज सुधारक थे। उन्होंने आत्मकल्याण की साधना के साथ विश्व का भी मार्गदर्शन किया। उनकी दीनोद्धारक भावना के अनुरूप उनकी प्रेरणा से संचालित अनेक संस्थाएं जीव दया, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में संलग्न हैं। 
मुनि ने आचार्य हस्तीमल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हृदय को कोमल और मन को सरल बनाए बगैर महानता के पथ पर एक कदम भी नहीं बढ़ाया जा सकता। जहां अपने स्वार्थ को गौण करने की तैयारी हो, अपनी इच्छाओं का बलिदान करने की हिम्मत हो और विषम हालात में भी मन की समाधि को खंडित नहीं होने देने का लक्ष्य हो वहीं पर महानता का अवतरण होता है।
ऐसी ही महानता को आत्मसात करने वाले संत शिरोमणि थे आचार्य हस्तीमल।  उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही संयम पथ पर कदम बढ़ाए थे। संयम की निरतिचार साधना करते हुए वे जीवन के प्रत्येक कदम पर एक इतिहास की सृष्टि करते रहे वे सही मायने में इतिहास पुरुष थे।
वे सामायिक को आचार शुद्धि व स्वाध्याय को विचार शुद्धि का सशक्त माध्यम मानते हुए जीवन पर्यंत सामायिक स्वाध्याय की प्रेरणा देते रहे । मुनि श्री ने दोनों महापुरुषों की महानता के अनेक संस्मरण सुनाए। इस मोके पर अमरचंद छाजेड, प्रतापचंद बैद, जीवनमल गोठी, प्रकाशचंद ललवानी ज्ञानचंद भंडारी, पदमचंद बैद   गौतमचंद कटारिया, महावीरचंद कटारिया, महेन्द्र कुमार बैद, ज्ञानचंद कोठारी समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।  संघ के जवाहरलाल नाहर व नीलमचंद छाजेड  ने अतिथियों का सत्कार किया। संचालन राजकुमार कोठारी ने किया ।

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