चेन्नई. अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी ने कहा तेजो लेश्या को अपनाने से अहंकार छूट जाता है। कृष्ण लेश्या व नील लेश्या व काणोता लेश्या को पूरी तरह छोडऩे वाले के जीवन का उद्धार हो जाता है। चौथी लेश्या का रंग कबूतर जैसा है जो कि शाकाहारी प्राणी है। यह अच्छी चीज ग्रहण करता है और बुरी को छोड़ देता है।
साध्वी ने कहा संवेद अपनाएं निर्वेद छोड़ें। आशावादी बनें निराशावादी नहीं। निराशावादी बनेंगे तो जिन राहों को छोड़ के बावजूद फिर अशुभ लेश्या में घिर जाएंगे। जैसे-जैसे पर्दा हटता जाएगा वैसे-वैसे ही परमात्मा के दर्शन होते जाएंगे। जैसे रोहिणी चोर ने कानों में अंगुली डाल रखी थी तभी पैर में कांटा चुभा तो उसे निकालने के लिए अंगुली बाहर निकाली और उसी दौरान भगवान महावीर के चार शब्द कानों में पड़े उसका सुधार हो गया। वह हमारे लिए वंदनीय बना हुआ है।
हजारों दुर्गुणों में से सद्गुण निकालें, कंकर में से संकल्प निकालें। तेजो लेश्या तक पहुंच गए तो जीवन में बहुत कुछ पा लेंगे। साध्वी ने कहा उपेक्षा के समय सकारात्मक सोच रखें। ऊंची सोच ऊंची शिक्षा, घर का माहौल सकारात्मक रहना और अनुभवी व्यक्ति के सान्निध्य में रहना- सकारात्मक सोच के लिए ये तीन बातें जरूरी हैं। हमारे मन में अलग-अलग विचारधारा आती है, अलग-अलग स्थिति व व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
ऐसी परिस्थिति में सकारात्मक सोच रखने का प्रयास करें। साध्वी महाप्रज्ञा ने गीतिका पेश की व साध्वी पद्मकीर्ति ने जीवन में सकारात्मक सोच रखने की प्रेरणा दी। भगवान महावीर ने हमें आगम रूपी जो टेबलेट दी है उससे श्रवण से जन्म-मरण का चक्र मिट जाएगा। गुरुवार को नवकार मंत्र के श्री वज्रपंजर स्तोत्र का अनुष्ठान होगा।