Share This Post

ज्ञान वाणी

चेन्नई के इतिहास में, ऐतिहासिक दीक्षा महोत्सव

चेन्नई के इतिहास में, ऐतिहासिक दीक्षा महोत्सव

 

  जैन तेरापंथ धर्मसंघ में 23 समणीयों, मुमुक्षु भाई-बहनों ने ली दीक्षा

  आचार्य श्री महाश्रमण ने प्रदान की दीक्षा

  जनाकीर्ण हुआ जैन तेरापंथ नगर

   हजारों – हजारों आँखों ने दीक्षा समारोह को देख, अपने भाग्य को सराहा

   रविवार के रवि ने चेन्नई में जहां नव रश्मियों को बिखेर कर प्रकृति को उल्लासित किया, तो वहीं दूसरी और श्रमण भगवान महावीर परम्परा के संयम पुरोधा आचार्य श्री महाश्रमण ने 23 समणीयों एवं मुमुक्षु भाई-बहनों को संयम-रत्न प्रदान कर उनके जीवन में नव सूर्य का उदय किया|
माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में वृहद् दीक्षा महोत्सव में हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि आर्हत् वाडमय् में शास्त्रकार ने कहा है कि प्राणी में पहले ज्ञान होना चाहिए, फिर आचरण और दया| ज्ञान नहीं होता है, आदमी अज्ञानी रहता हैं| अज्ञानी क्या कर पायेगा? वो कैसे जान पायेगा कि मेरे लिए श्रेय क्या हैं और पाप क्या हैं| भले अध्यात्म का क्षेत्र हो और भले व्यवहार का, संसार का क्षेत्र हो|  हमारे जीवन में ज्ञान का महत्व होता हैं| ज्ञान सही होता हैं, तो आचरण सही होने में सहूलियत हो जाती हैं| अध्यात्म की साधना के क्षेत्र में नव तत्वों का ज्ञान होना चाहिए|
नव दीक्षार्थींयों को विशेष बोध पाठ प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने नव तत्वों का विवेचन करते हुए कहा कि साधु-साध्वीयों एवं समण श्रेणी का परम् लक्ष्य होता हैं मोक्ष को पाना| इसके लिए उनके जीवन में अध्यात्म साधना का अभिक्रम रहना चाहिए|

     दीक्षा संस्कार समारोह 

  भगवान महावीर को वन्दना, तेरापंथ के पूर्वाचार्यों का मंगल स्मरण, साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी का अभिवादन एवं मंत्री मुनिश्री सुमेरमलजी को वन्दन कर परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण ने 11समणीयों (3 नवदीक्षित) 3 मुमुक्षु भाईयों को मुनि दीक्षा एवं 12 मुमुक्षु बहनों को समणी दीक्षा प्रदान की| नवदीक्षित साधु – साध्वीयों एवं समणीयों को आचार्य प्रवर ने अतीत की आलोयणा करवाई| सभी नवदीक्षितों ने तीन बार प्रदक्षिणा कर आचार्य प्रवर को वन्दना निवेदित की|

     केश लुंचन संस्कार

   आचार्य श्री ने कहा कि केश लुंचन परम्परा हैं, कष्ट का काम है, साधना का क्रम हैं| शिष्य की छोटी गुरु के हाथ में रहे| आचार्य प्रवर श्री एवं साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने नवदीक्षितों का जैसे ही कैश लुंचन संस्कार किया, उस अद्वितीय, अविस्मरणीय दृश्य को देख पुरा महाश्रमण समवसरण ऊँ अर्हम्, जय जय ज्योतिचरण, जय जय महाश्रमण इत्यादि जयघोषों से गुंजायमान हो गया|
आचार्य प्रवर ने आर्षवाणी की मंगल भावना के साथ सभी नवदीक्षित मुनियों को रजोहरण एवं प्रमार्जनी प्रदान करते हुए  कहा कि दिन में साधु को चलना हो, तो भूमि देख कर चले, पर रात में कुछ दिखे, न दिखे, रजोहरण से प्रमार्जन कर, देखकर चलने का प्रयास करें| और समान तो गृहस्थों से आता है, पर रजोहरण और प्रमार्जनी साधु साध्वीयों द्वारा तैयार की जाती हैं|

      शिक्षा रूपी ओज आहार

   नवदीक्षितों को ओज आहार रूपी शिक्षा प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि अब तुम सब साधु-साध्वी, समणी बन गये हो| सभी को ज्ञान, दर्शन और चारित्र से, क्षांति व मुक्ति से वर्धमान बनना हैं, खुब साधना कर स्व – पर का कल्याण करना हैं| जीवन की हर क्रिया में संयम पूर्वक रहना, अच्छा विकास करना, धर्मसंघ की सेवा कर, धर्मसंघ को लाभ पहुंचाने का प्रयास करना| श्रावक समाज ने नवदीक्षितों को वन्दना कर अभिवादन किया|

      नामांकरण संस्कार

  दीक्षा प्रदाता ने नवदीक्षितों का नामकरण संस्कार करते हुए सभी के नये नामों की घोषणा की|

     ग्रास-दान संस्कार

  प्रथम ग्रास-दान प्रदाता परमाराध्य आचार्य प्रवर ने नवदीक्षितों को ग्रास के रूप में अलग-अलग श्लोक बनाकर श्लोक-ग्रास प्रदान किया|

   ज्ञातीजनों से ली लिखित और मौखिक आज्ञा

   इससे पूर्व पारमार्थिक शिक्षण संस्था के नवमनोनीत अध्यक्ष श्री बंजरग जैन ने आज्ञा – पत्र का वाचन किया| मुमुक्षुओं के अभिभावकों ने लिखित आज्ञा पत्र गुरूदेव के श्रीचरणों में सुपुर्द किये| आचार्य श्री ने कहा कि आज्ञा पत्र लिखित में आ चुके हैं, जिससे दीक्षा में पारदर्शिता रहती हैं| आचार्य प्रवर ने मुमुक्षुओं के सभी ज्ञातीजनों से दीक्षा की मौखिक स्वीकृति ली| दीक्षा को सन्मुख दीक्षार्थींयों की परीक्षा लेते हुए, भरी सभा में, आचार्य प्रवर ने उनकी भी स्वीकृति ली|

वृहद् दीक्षा महोत्सव की शुरुआत आचार्य प्रवर के द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगल स्मरण के साथ हुई| समणी ॠजुप्रज्ञा ने आठों समणीयों, मुमुक्षु बहनों अजिता, मुमुक्षु सारिका, एवं मुमुक्षु करिश्मा ने सभी मुमुक्षुओं का परिचय दिया| संयम मार्ग की ओर अग्रसर समणी चारित्रप्रज्ञा, समणी विकासप्रज्ञा, समणी परिमलप्रज्ञा ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी, श्रेणी आरोहण करने वाली समणीयों एवं समण श्रेणी में दीक्षित होने वाली मुमुक्षु बहनों ने अलग अलग सामूहिक गीतिका प्रस्तुति की| दीक्षा ग्रहण करने को आतुर मुमुक्षु शुभम् आच्छा एवं मुमुक्षु कोमल बोहरा ने अपने विचार व्यक्त किये|

   आगामी दीक्षा महोत्सव की घोषणा

  परमाराध्य आचार्य प्रवर ने आगामी 03-07-2019 को भिक्षु धाम, बगंलूरू में दीक्षा महोत्सव की घोषणा की| इस अवसर पर ▪मुमुक्षु दर्शिका नाहर, सिन्धुनर▪मुमुक्षु खुशबू बोथरा, बैंगलुरु और ▪मुमुक्षु चेतना भंसाली, पचपदरा को समणी दीक्षा देने का आदेश फरमाया|▪मुमुक्षु आकाश पारख, इरोड़ को साधु प्रतिक्रमण सिखने का आदेश दिया|

    हजारों हजारों नयनों ने शालीनता पूर्वक वृदह दीक्षा महोत्सव को निहारा| जहां जैन समाज के व्यक्ति तो उपस्थित थे ही, वही अजैन और कई विशिष्ट महानुभाव भी अपनी आँखों से इस दृश्य को निहारा| मेघालय के पूर्व राज्यपाल वी शंगमुखनाथन, दिगंबर भट्टारक लक्ष्मीसेन भी इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित होकर पूरे वृहद् दीक्षा महोत्सव को देखा और परमाराध्य आचार्य प्रवर के दर्शन सेवा कर पाथेय प्राप्त किया|  चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के संयोजन में, तेरापंथ युवक परिषद्, महिला मण्डल एवं चेन्नई की अन्य संघीय संस्थाओं ने सभी व्यवस्थाओं को सुन्दर ढंग से समायोजित किया| कार्यक्रम का सफलतम संचालन करते हुए मुनि श्री दिनेश कुमार ने कहा कि महाश्रमण ने जीनशासन को शिखरों पर छड़ाया हैं| चेन्नई का चातुर्मास सफलतम एवं ऐतिहासिक रहा हैं| चेन्नई के इतिहास में 23 दीक्षाओं के आयोजन से नव इतिहास का सृजन हुआ हैं|

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar