चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा मानव जीवन में जीवों के प्रति दया भाव रखने वालों के पाप कम होते हैं। जीवन मे आगे वही जाते हैं जो बैलेंस बना कर चलते हैं। पुण्य पाप के अंतर को जान कर उसमें बैलेन्स बनाना चाहिए। ऐसा करने वालों के पाप कम हो जाते हैं।
साध्वी सुविधि ने कहा जो नहीं है उसके लिए चिंता करने के बजाय जो है उस पर चिंतन करने की जरूरत है। वर्तमान में लोग अपने भविष्य की चिंता में वर्तमान भी खराब कर लेते हैं। सुख-दुख तो जीवन के दो पहलू हैं। अगर किसी के जीवन मे दुख है तो निश्चय ही सुख आएगा, लेकिन इसके लिए मानव को आशा रखने की जरूरत है।
आज के समय मे थोड़ी समस्या आने के बाद लोग परिस्थिति से हार जाते हैं लेकिन परिस्थिति कैसी भी हो मानव को आशा रखना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि समय बदलेगा। लोगों को लगता है जो दूसरों के पास है वो उनके पास नहीं है लेकिन जीवन में क्या है उसकी चिंता करने के बजाय अगर जो है उस पर चिंतन किया जाए तो दुख आएगा ही नहीं।
अगर नकारात्मक के बजाय सकारात्मक सोच के साथ किसी चीज की शुरुआत की जाए तो थोड़ी परेशानी तो जरूर होगी पर विफलता नही मिलेगी। आशा होने पर असंभव भी संभव हो सकता है। इसलिए मानव को कभी आशा नहीं छोडऩी चाहिए। दिन रात चिंता करने के बजाय अगर चिंतन किया जाए तो जीवन बदल जायेगा।
आशा रखते हुए मानव को सही राह पर चलना चाहिए। गलत मार्ग पर चलने वाले आशा रखेंगे तो भी जीवन सफल नही हो सकता। सही मार्ग पर चलने वालों को कभी निराशा नहीं मिलती। अध्यक्ष आनंदमल छलाणी, उपाध्यक्ष सुरेश कोठारी भी धर्मसभा में उपस्थित थे।