चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित आचार्य सुदर्शन ने कहा श्रावक का प्रमुख लक्षण है लज्जा। सदाचार का पालन करना श्रावक का धर्म है। यदि धन चला जाए तो कुछ नहीं बिगड़ता, स्वास्थ्य खराब हो जाए तो थोड़ा नुकसान होगा, चारित्र चला गया तो सर्वस्व चला जाता है। ऋतुएं बदलने व आंधी-तूफान आने पर भी पेड़ स्थिर रहते हंै उसी प्रकार चारित्र में दृढ़ रहना चाहिए। भद्रबाहु स्वामी ने सारे उपनिषद-आगम और धर्मग्रंथों का सार उत्तम चारित्र को बताया है। जीवन में मर्यादा रहनी चाहिए ताकि सद्गुणों का विकास हो सके। मुनि दिव्यदर्शन ने कहा बेटी स्वयं के कर्मों से जीवन-यापन करती है। वह पिता की इच्छानुसार सुख-सुविधाएं भोग नहीं सकती। सब कुछ कर्माधीन है। नवपद की आराधना से आनंदमय जीवन का आनंद प्राप्त कर सकते हंै। अध्यक्ष कमलचंद खटोड़ ने बताया कि श्रीपाल मैनासुंदरी वाचन गुरुवार तक होगा। संचालन सुरेश आबड़ ने किया।
चारित्र चला गया तो सर्वस्व चला गया
