चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा नमस्कार महामंत्र त्रिभुवन में अनुपम है। यह जन्म मरण रूपी संसार को समाप्त करने में समर्थ है। केवल ज्ञान और निर्वाण सुख देने वाला है। चारित्र को चमकाने वाला निर्मल नभ है। मोक्ष मंदिर में प्रवेश करने वाला नगर है और नम्रता की निधि है।
कोई भी मंत्र तंत्र ध्यान हो नवकार में समाहित हो जाता है। मन की रक्षा के लिए नवकार मंत्र जरूरी है। तीर्थंकरों ने अपने पूर्व भवो में महामंत्र की अराधना द्वारा अपनी मंजिल की ओर प्रयाण किया। नवकार रूपी कल्पवृक्ष हमें शाश्वत मोक्ष धाम पहुंचाने की शक्ति रखता है। तीर्थंकर प्रभु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले हैं।
इसी कड़ी में पांचवें तीर्थंकर सुमतिनाथ के स्मरण के जीन लाभ हैं। ज्ञानचक्षु खुलते हैं, बुद्धि तीक्ष्ण होती है और अनुमान क्षमता बढ़ती है। ये विचार साध्वी अपूर्वा ने व्यक्त किए। संघ में 11 लाख नवकार मंत्र के जाप का समापन हुआ।