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ज्ञान वाणी

गृहस्थ जीवन में रहे अनासक्त की भावना : आचार्य श्री महाश्रमण

गृहस्थ जीवन में रहे अनासक्त की भावना : आचार्य श्री महाश्रमण
माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने बताया कि पद्मप्रभु  और वासुपूज्य ये दो तीर्थकर पद्म गौर वर्ण के थे| दोनों का शरीर समान था, लाल रंग के थे|
पद्म का दूसरा नाम कमल होता है| प्राकृत एवं संस्कृत शास्त्रों में कमल को अनासक्ति के उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है|
 अध्यात्म में अनासक्ति का बड़ा महत्व है| आसक्ति आदमी को डूबा देती है और अनासक्ति ऊपर उठा देती हैं| गृहस्थ जीवन में भी अनासक्ति की भावना रहे| गृहस्थ परिवार, समाज में रहते हुए भी चक्रवती भरत की तरह निर्लिप्त रहे|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि जो आदमी हर समय मृत्यु को याद करता है, वह अनासक्त भाव में रह सकता हैं| अनित्यता का भाव और उसकी अनुप्रेक्षा अनासक्ति का पाठ पढ़ाने वाली है, मौत को सामने रखने वाली होती है| आसक्ति पतन की ओर ले जा सकती है, अत: व्यक्ति अपने जीवन में मोह को कम करे, लोभ को पतला करे|
 आचार्य श्री ने आगे कहा कि उत्तराध्ययन सुत्र में कहा गया है कि ब्राह्मण किसे कहते हैं? जो कामों में अलिप्त रहता है, जैसे पदम (कमल) पानी में पैदा होकर भी पानी से ऊपर, पानी से निर्लिप्त रहता है, वैसे ही साधक पदार्थों और विषयों के बीच रहते हुए भी निर्लिप्त रहे, अनासक्ति की साधना करें|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि तीर्थंकर अध्यात्म, सिद्धांत एवं तीर्थ के प्रवक्ता होते हैं| वे पंच परमेष्ठी के प्रथम पद पर होते हैं| निर्मलता एवं कर्म मुक्ति के आधार पर देखें तो सिद्ध आगे होते हैं, सर्व कर्म मुक्त होते हैं, फिर भी अध्यात्म जगत का अधिनेतृत्व करने वाले अरहंत होते हैं, दुनिया को बोेध देते हैं और सिद्ध होते हैं, उनका ज्ञान कराते हैं| इस आधार पर तीर्थकर को प्रथम पद पर नमस्कार किया जाता है|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि *यह दुनिया का सौभाग्य है कि समय समय पर तीर्थकर होते हैं, तीर्थ की स्थापना करते हैं, उपदेश देते हैं, राह दिखाते हैं, चाह पैदा कर जीवों का उद्धार करते हैं और स्वयं मोक्ष को प्राप्त कर लेते है|  आचार्य श्री ने श्रावक श्राविकाओं को सम्यक्त्व दीक्षा (गुरू धारणा) स्वीकार करवाई|
   *प्रेक्षाध्यान शिविर का हुआ समापन*
अष्ट दिवसीय नमस्कार महामंत्र पर आधारित  प्रेक्षाध्यान शिविर के समापन के अवसर पर आचार्य श्री  ने शिवरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेक्षाध्यान की साधना वीतरागता की ओर  बढ़ाने वाली हो| शिविर काल के बाद भी साधना बढ़ती रहें| हमारी ध्यान की चेतना उध्वारोहण की ओर हो| वे अध्यात्म के क्षेत्र में आगे बढ़ते रहे|
शिविर संयोजक श्री माणकचन्द रांका ने शिविर काल में आचार्य प्रवर, साधु – साध्वीयों एवं समणीयों की मिली सन्निधि के लिए कृतज्ञता ज्ञापित कर गतिविधियां निवेदित की| इस शिविर में 105 साधकों ने सहभागिता निभाई| शिविरार्थी मुकेश कोठारी, सुश्री अंजनी सिंघी ने शिवीर काल के अनुभव प्रस्तुत किये|
श्रीमती रीना भण्डारी ने 9 की एवं श्रीमती तपस्विनी बहन ने 14 की तपस्या का प्रत्याख्यान आचार्य प्रवर के श्रीमुख से किया|
  साधना के मार्ग में संघ सबसे बड़ा आलंबन : साध्वी प्रमुखाश्री 
साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने पंच सुत्रों का विवेचन करते हुए कहा कि चौथा सुत्र हैं आलंबन| जैसे टहनी से जुड़ा फूल विकास पाता है, वैसे ही साधु संघ से जुड़ा रह कर विकास कर सकता हैं| साधु संघ के आलंबन को पकड़ कर रखे| प्रमुखाश्री ने कहा कि एक सुत्र है – *यह भी बदल जायेगा|* इस सुत्र से व्यक्ति के अंहकार और हीन भावना दोनों में बदलाव आ सकता है| साध्वी प्रमीलाश्री ने आत्मोत्थान में संलग्न रहने की प्रेरणा दी| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया|
श्री सदानंद महाराज और आचार्य श्री महाश्रमण की आध्यात्मिक भेट
वृंदावन के श्री कृष्ण प्रणामी (निजानन्द संप्रदाय) के कथावाचक श्री सदानंद महाराज ने परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी से आध्यात्मिक मुलाकात की| उन्होंने व्यक्ति और समाज में नैतिकता, भाईचारा, आध्यात्मिकता का कैसे विकास हो?, उस पर चर्चा की|
चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ ने स्वामी श्री सदानंदजी महाराज का स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया| श्री सदानंदजी महाराज ने महामति प्राणनाथ चतुर्थ शताब्दी महोत्सव का निमंत्रण पत्र देते हुए सकल जैन तेरापंथ धर्म समाज को आने का निमंत्रण दिया|
वेलफेयर ट्रस्ट के कैंप ऑफिस का हुआ उदघाटन
जैन तेरापंथ वेलफेयर ट्रस्ट के कैंप ऑफिस का उदघाटन परमाराध्य आचार्य श्री  महाश्रमणजी के मंगल पाठ के पश्चात श्रीमती सोहनीदेवी श्री उगमराज, सौभागमल सांड पादूकला निवासी, चेन्नई प्रवासी द्वारा किया गया| इस अवसर पर वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री देवराज आच्छा, चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़, स्वागताध्यक्ष श्री प्यारेलाल पितालीया के साथ गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे|
गणमान्य व्यक्तित्वों ने किये आचार्य श्री के दर्शन, पाया पाथेय
पूज्य प्रवर के दर्शनार्थ श्री के पिचंडी विधायक, पूर्व मंत्री हाउसिंग बोर्ड, श्री CD मयप्पन,अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी  के महासचिव, डॉ नरसिम्हान, जिला गवर्नर लॉयन इंटरनेशनल माधावरम स्थिति चातुर्मास स्थल आये और दर्शन किये । इस अवसर पर चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धर्मचंद लूंकड़ , श्री गौतमचंद सेठिया वीडीएस,  श्री केवलचन्द माण्डोत इत्यादि गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे|
    *✍ प्रचार प्रसार विभाग*
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*
स्वरूप  चन्द  दाँती
विभागाध्यक्ष  :  प्रचार – प्रसार

आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

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