त्रिदिवसीय उपासक सेमिनार का हुआ समापन
दो और मुमुक्षु बहनों की होगी चेन्नई में दीक्षा
सोमवार से प्रारम्भ होगा त्रिदिवसीय जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा का अधिवेशन
माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सुत्र के दूसरे अध्याय का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि क्रोध दो प्रकार का होता है – आत्म-प्रतिष्ठित और पर-प्रतिष्ठित|
कभी कभी दूसरा निमित नहीं बनता है, खुद के निमित से ही गुस्सा आ जाता है, दूसरे न गाली दे, न बुरी बात कहे, फिर भी स्वयं से गुस्सा हो जाता है, जैसे जीभ दांतों के बीच आ गई गुस्सा आ गया, यह आत्म-प्रतिष्ठित क्रोध हैं, गुस्सा हैं|
दूसरे ने हमें गाली दी या हमारा कहना नहीं माना, तो उस पर गुस्सा आ जाता है, यह पर-प्रतिष्ठित क्रोध हैं| दोनों ही प्रकार के क्रोध से बचने का प्रयास करें|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि आदमी की दुर्बलता है कि उसे आवेश आ जाता है, पर वह ध्यान रखे कि कठोर बात भी शांति से कहे, पर गुस्सा नहीं करे| कठोर कथन में भी शांति रखना जीवन की अच्छी बात है| *गुस्सा एक ऐसा तत्व है जो प्रेम को तोड़ने वाला होता है, प्रीति का प्रणाश करने वाला होता है|*

आचार्य श्री ने आगे कहा कि गुस्सा हमारा अगला जन्म खराब करता है और वर्तमान भी खराब कर सकता है| गुस्से को शांत करने के लिए दीर्घश्वास का प्रयोग करना चाहिए, “उवसमे हणे कोयं” का जाप करना चाहिए, अनुचिन्तन करना चाहिए| हमारे जीवन में, परिवार में, बाजार में, धर्म स्थान में गुस्सा काम का नहीं है|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि हमारी वाणी दूध में मिश्री जैसी मिली हुई होनी चाहिए, वाणी को मीठा बनाने का प्रयास करें, मीठे वचन से सुख मिलता है| वाणी में विष भी है और अमृत भी है| हमारी वाणी विष वाली न होकर अमृत जैसी होनी चाहिए|
आचार्य श्री ने आगे कहा कि गुस्से पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें| काम की चीजें दिमाग मे रखे, बाकी तो छोड़ दे| अच्छी राह पर चले, कोई हमारी निन्दा करे तो करे, पर उसके प्रति भी हमारी मंगल भावना रहे| जो करेगा, सो भरेगा| हम गुस्सा नहीं करेंगे तो हमारी आत्मा निर्मल रहेगी|
त्रिदिवसीय उपासक सेमिनार का हुआ समापन

*उपासक श्रेणी को उपासना कराते हुए आचार्य प्रवर ने प्रतिबोध देते हुए कहा कि उपासक श्रेणी ज्ञान का विकास करे| उपासकों के परिवार में शांति रहे, सद् गुणों का विकास हो, परिवार के सदस्यों में सत् संस्कार बढ़े, जायदाद को लेकर किसी भी प्रकार का कलह न रहे, दहेज एवं तलाक की समस्या से मुक्त रहे, शांति पूर्ण सहवास रहे|*
साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी ने अपने उद्बोधन में फ़रमाया की जन्म लेना कोई विशेष बात नहीं है, जीवन किस प्रकार का जीया वह मुख्य बात है| व्यक्ति जैसा भीतर में है, वैसा ही बाहर भी दिखना चाहिए| वर्तमान में जीना सीखें| दुरस्त और संदिग्ध कार्यों को छोड दें| राजपथ नहीं, तो सही मार्ग पर चलने का प्रयास करें। उपासक श्रेणी की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बताया की उपासक अपने प्रति आस्था रखने वाले और देव, गुरु, धर्म में दृढ़ आस्था रखने वाले होंना चाहिए| ज्ञान का विकास, विचारों में खुलापन होना चाहिए| अपने क्ष्योपक्षम को बढ़ाने के लिए पुरुषार्थ करें। चारित्रिक विशुद्धता पर पुरा ध्यान रखें, कषायों से हल्का होने की साधना करनी चाहिए। *अहंकार मुक्त जीवन शैली को अपनाये, विनम्र रहें।किसी भी परिस्थिति में आक्रोश में नहीं आये, शांत रहें|*
उपासक श्रेणी के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि श्री योगेशकुमार ने कहा कि उपासक व्यवहार जगत में रहते हुए भी निश्चय में रहे| *गुरू दृष्टि की आराधना एवं संघ और संघपति की सेवा करते हुए स्वयं अपना आध्यात्मिक विकास करते रहे|* मुनि श्री सुधाकर ने नवरंगी तप की प्रेरणा दी| उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक श्री डालमचन्द नौलखा ने समूहगान के माध्यम से पूज्य प्रवर से उपासक श्रेणी के लिए मंगल आशीर्वाद की कामना की| उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय शिविर संयोजक श्री जयंतीलाल सुराणा ने शिविर एवं सेमिनार में पूज्य प्रवर के मिले मंगल सान्निध्य के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की एवं अपनी भावना व्यक्त करते हुए कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे शासन की सेवा का मौका मिला, शासन और शासनपति की मैरे और मेरे परिवार पर सदैव कृपा दृष्टि बनी रहे|

*दो और मुमुक्षु बहनों की होगी चेन्नई में दीक्षा*
परमाराध्य आचार्य श्री ने आज महती कृपा कराते हुए चेन्नई में आगामी 11-11-2018 को होने वाले दीक्षा महोत्सव पर 2 और मुमुक्षु प्रेक्षा सेठिया और मुमुक्षु श्वेता सेठिया की समणी दीक्षा कराने का अनुग्रह करवाया|
सोमवार से प्रारम्भ होगा त्रिदिवसीय जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा का अधिवेशन
महासभा महामंत्री विनोद वैद ने सोमवार से प्रारम्भ होने वाले त्रिदिवसीय जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के अधिवेशन की सूचना दी| तुलसीराम जैन उड़ीसा ने उड़ीया भाषा में स्वलिखित पुस्तक “व्यक्ति चेतना का उध्वारोहण” पूज्य प्रवर के श्री चरणों में निवेदित करते हुए अपनी भावना निवेदित की| श्री गौतमचन्द वी सेठिया ने अपनी पुत्रीयों को आगामी चेन्नई दीक्षा महोत्सव पर दीक्षा प्रदान कराने की कृपा कराने पर कृतज्ञता ज्ञापित की| राकेश माण्डोत ने सी डी निवेदित करते हुए गीत गाया| तपस्वीयों ने आचार्य प्रवर के श्री मुख से तपस्या का प्रत्याख्यान किया| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया|