चेन्नई. कांकरिया गेस्ट हाउस में विराजित साध्वी मुदितप्रभा ने गुरु पूर्णिमा के अवसर पर कहा गुरु वे होते हैं जो हमारी जिंदगी, जीवनशैली, जिंदगी के हर पहलू को अनुशासित करते हैं।
संसार सागर से तिरने का मार्ग गुरु ही बताते हैं। आंतरिक जागरण के लिए गुरु के प्रति सच्ची आंतरिक भक्ति को जगाना आवश्यक हैं। गुरु के आज्ञा का पालन अहोभाव से करना चाहिए। आप श्रावक श्राविका भी गुरु कृपा, गुरु के हृदय में स्थान पा सकते हैं अगर आप सच्चे मन से गुरु के प्रति श्रद्धाभाव व समर्पण कर दें।
गुरु के आशीर्वाद रूपी स्पर्श, शब्द, दृष्टि, व भक्ति से गुरु कृपा प्राप्त होती है। गुरु के प्रति कृतज्ञता भाव अपने रोम रोम से निकलने चाहिए। गुरु के प्रति भक्ति मीरा व सबरी जैसी होनी चाहिए। गुरु वो होते है जो शिष्य को भटकने से रोकते हैं।
चलना हमें स्वयं हैं, गुरु तो हमें सच्चा मार्ग दिखाते हैं। अगर पूर्णता प्राप्त करनी है तो गुरु के सामने शून्य बनकर भक्ति भाव से समर्पण करना है। साध्वी इन्दुबाला ने मांगलिक सुनाया।