260वे तेरापंथ स्थापना पर आयोजित हुए कार्यक्रम*
तेरापंथ धर्मसंघ का 260वॉ स्थापना दिवस तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ठाणा 3 के सान्निध्य में मनाया गया| मुनि श्री ज्ञानेन्द्रकुमार ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज से 259 वर्ष पुर्व केलवा (राजस्थान) की *अंधेरी ओरी* में वहा के अधिष्ठनायक यक्षदेव के निवेदन पर आध्यप्रर्वतक आचार्य श्री भिक्षु ने आषाढ़ी पूर्णिमा की संध्या में *भगवान महावीर को वन्दन करते हुए भाव दीक्षा ली एवं तेरापंथ धर्मसंघ की स्थापना करके हुए कहा कि “हे प्रभु यह तेरा पथ,” हम तो इस पथ पर चलने वाले पथिक है|*
*झंझावातो में भी नहीं घबराया तेरापंथ*
मुनिश्री ने आगे कहा कि आचार्य भिक्षु न तुफानों से, न विरोधों, न यक्ष, न अन्य झंझावात से घबराये, डरे| वे आगे बढ़ते गये, तेरापंथ का ध्वज लहराते गये और आज तेरापंथ अबाध गति से चल रहा हैं|
आज के गुरु पूर्णिमा पर गुरु की महिमा बताते हुए मुनि श्री ने कहा कि *जो साधक गुरु के चरणों में अहंकार – मंमकार का विसर्जन कर अपने आप को सर्वात्मना समर्पित कर देता है, वह हर कार्य में सफल हो जाता हैं, सिद्धी को प्राप्त कर सकता हैं|*
*विश्व के हर धर्म में बताई गई गुरु की महिमा*
मुनि श्री ने आगे कहा कि विश्व का कोई भी धर्म हो चाहे हिन्दू हो या मुस्लिम, बौद्ध हो या सिख या अन्य, हर धर्म में गुरु की महिमा और महत्ता बताई गई हैं| *उपासना की पद्धति का ज्ञान गुरु से होता हैं|*
गुरु की महिमा बताते हुए मुनि श्री ने आगे कहा कि शिष्य – अनुयायी को गुरु की नित्य सेवा करनी चाहिए| जब गुरु पूर्णतया संतुष्ट हो जाए तो उस आराधक की देवता भी सेवा करते हैं| जिस व्यक्ति पर गुरु अप्रसन्न होता हैं वह अबोधि मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता|
*गुरु द्वारा प्राप्त मंत्र होता सिद्ध*
मुनि श्री ने आगे कहा कि जो मंत्र गुरु द्वारा प्राप्त होता हैं, वह सिद्धी को प्राप्त होता हैं, बाकी तो मंत्र जप होता हैं| मुनिश्री ने *“श्रद्धा के सुमन चढ़ाते है, गुरुदेव तुम्हारे चरणों में.. श्रद्धा शीत चरण झुकाते हैं, गुरुदेव तुम्हारे चरणों में…”* इस गीत का संगान किया तो सारा सभागार गुरुमय बन गया|
*सम्यक्त्व दीक्षा का स्वीकरण*
गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर मुनि श्री ने *श्रद्धालु श्रावक समाज को सम्यक्त्व दीक्षा (गुरु धारणा) की महत्ता बताते हुए सूत्रों का स्वीकरण करवा उसका रिनुवल करवाया|
*अनुशासन रैली*
इससे पुर्व प्रात: काल में तेरापंथ स्थापना दिवस पर तेरापंथ सभा भवन से अनुशासन रैली का आयोजन किया गया| रैली में तेरापंथ जैन विद्यालय के छात्रों के साथ तेरापंथ धर्मसंघ की सभी संघीय संस्थाओं के पदाधिकारीयों, सदस्यों, श्रद्धालु श्रावक समाज ने पक्ति बद्ध हो साहूकारपेट के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए जैन धर्म, तेरापंथ, अहिंसा के संदेशों का प्रचार प्रसार करते हुए पुन: तेरापंथ भवन पहुंच सभा में परिवर्तित हुई| रैली के संयोजक विनोद डागा के साथ सभा के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा|
मुनिश्री विमलेशकुमार ने कहा कि आचार्य श्री भिक्षु ने अभिनिष्कमण कर आषाढ़ी पूर्णिमा को भाव दीक्षा ग्रहण कर सत्य धर्म की स्थापना का लक्ष्य बनाया|
मुनि श्री विनीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु के जीवन दर्शन का आधार था – सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र| आचार्य भिक्षु आगामों के मर्मज्ञ, अध्येता, सत्यनिष्ठ, तपोनिष्ठ साथ ही साथ कुशल व्यवस्थापक, अनुशासक थे|
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के मंगल मंत्रोच्चार एवं तेरापंथ महिला मण्डल की बहनों के मंगलाचरण गीत के साथ हुई| तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष श्री अशोक खतंग ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया| मुख्य अतिथि *श्री भवरलाल मरलेचा* प्रबंध न्यासी – तेरापंथ एजुकेशनल एंड मेडिकल ट्रस्ट, विशिष्ट अतिथि *श्री राजकरण बैद* प्रबंध न्यासी जैन तेरापंथ वेलफेयर ट्रस्ट, जय तुलसी संगीत मंडल ने गीत, व्यक्तव्य के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये| कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए तेरापंथ सभा मंत्री श्री प्रवीण बाबेल ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया| संध्या में चातुर्मासिक पक्खी प्रतिक्रमण राष्ट्रीय उपासक शिविर संयोजक श्री जयंतीलाल सुराणा ने करवाया|
*धम्म जागरणा*
रात्री में मुनि श्री रमेशकुमार के सान्निध्य में एस एस तेरापंथ भवन, ट्रिप्लीकेन में जय तुलसी संगीत मंडल द्वारा धम्म जागरणा में आराध्य आचार्य भिक्षु की अभिवंदना में गीतों की प्रस्तुति दी गई|
*प्रचार प्रसार प्रभारी*
*श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई*