गुरु के आज्ञा में रहना ही धर्म है! समयमात्र का हमे प्रमाद नहीं करना चाहिएँ! – डॉ. राज श्री जी म.सा. आकुर्डी स्थानक भवनमें आज उत्तराध्ययन सूत्रक् 35 वे अध्याय तक का पठन साध्वी जिनाज्ञा श्री जी ने किया!अपने उद् बोधन मे उन्होंने बताया समय का मुल्य हमें जानना है! चार संज्ञाये विस्तार से समझाई! मूल्यांकण, मूल्यवान, मुल्याहिन, मुल्याधिन! जब सम्यकत्व की प्राप्ति होगी मनुष्य जीवन सार्थक होगा!
अपने उद् बोधन मे डॉ. राज श्री जी ने कहा आज भगवान महावीर स्वामी जी का महानिर्वाण दिवस है! आज परम प्रकाश का पर्व है! साधना की प्रकाशिकी पर पहुँच कर भ. महावीर मोक्ष को गये ! भ. महावीर एवं गौतम स्वामी के गुरुशिष्य नातेपर प्रकाश डाल अपार स्नेह , प्रशस्त मोहपर का जिक्र किया! गुरु की आज्ञा रहना ही धर्म है बताया! “
णमो जिणाणं जिय भयाणं “ का सामुदायिक जाप हुआ! समाज के धर्म अनुरागी बड़ी संख्यामे उपस्थित थे! “ आनंद रोटी” परिवार द्वारा YCM अस्पताल में दीपोत्सव के अवसरपर मिठाई का वितरण किया गया! कल प्रतिपदा के महामांगलीक एवं उत्तराध्ययन के 36 वे अध्याय का पठण सुबह 6.30 बजे प्रारंभ होगा! और 3 तारीख़ को पु. गुरुदेव आचार्य श्री देवेंन्द्र मुनीजी म.सा. का जन्मोत्सव गुणानुवाद , जप तप से मनाया जायेगा! यह जानकारी संघाध्यक्ष सुभाष जी ललवाणी ने देकर सभी मान्यवरोंका स्वागत कर दिपोत्सव की बधाई दी!