चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा परमात्मा की वाणी उत्तराध्ययन सुत्र के माध्यम से चल रही है। जो भाग्यशाली इसे अपने अंतरात्मा से सुनकर जीवन में उतार देता है, उसका जीवन बदल जाता है।
उन्होंने कहा जीवन भर अगर पुत्र अपने पिता का कोई भी बात नही माना हो लेकिन उनकी अंतिम इच्छा पूरी कर दे तो वह सच्चा पुत्र बन जाता है। ठीक वैसे ही परमात्मा के इस अंतिम वाणी को जीवन में श्रवण कर सफल होने का प्रयास करना चाहिए।
ऐसी जिनवाणी सुनने के लिए खुद के साथ अपने रिश्तेदार और दोस्त को भी प्रेरित करना चाहिए। उन्होंने कहा अगर शुद्ध भाव से जिनवाणी का श्रवण किया जाए तो जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसे शास्त्र को सुनने में कभी भी चूकना नहीं ूचाहिए।
गुरुचरणों में जाकर अपना जीवन समर्पित करने वाले जीवन में आगे बढ़ते चले जाते हैं। उन्होंने कहा किसी का अच्छा हो सके तो अच्छा कर देना चाहिए, लेकिन किसी का कभी बुरा नही करना चाहिए।
सागरमुनि ने कहा जीवन को सफल बनाने के लिए धर्म के मार्ग पर चलना बहुत ही जरुरी होता है। धर्म के कार्यो में खुद को लगा कर आत्मा की शुद्धि की जा सकती है।
उन्होंने कहा सब कुछ चले जाने के बाद मेहतन करने के बाद वापस आ जाता है लेकिन एक बार जीवन से चारित्र चला गया तो इसे वापस नहीं लाया जा सकता। मनुष्य का जीवन आहार, जल और ज्ञान से चलता है। इन तीनो के जीवन मं नहीं होने से जीवन का कोई मतलब नहीं निकलता।