चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा जब तक मनुष्य अपने अंदर की गंदगी को नहीं जानेगा तब तक जीवन का उद्धार नहीं हो सकता है। सुख तो सभी को चाहिए लेकिन उपाय कोई नहीं करता है। लेकिन याद रहे जब तक सुख के कार्य और उपाय नहीं करेंगे तब तक सुख नहीं मिलने वाला है।
उन्होंने कहा कि अगर दुख पाने वाले कार्य कर सुख की इच्छा की जाय तो सुख का आना संभव नहीं है। दुख के कार्य करने पर सिर्फ दुख ही मिलेगा। अगर सुख चाहिए तो उसके लिए गलत कार्यो से बचना होगा। उन्होंने कहा कि मनुष्य को चिंतन करना चाहिए कि वो संसार में किस लिए आया है।
संसार मे आत्मा की कमाई के लिए आकर संसार की कमाई में लगा है तो सुख कहा से आएगा। संसार मे आत्मा की कमाई करने वाले को सुख की तलाश नहीं करनी पड़ती। बल्कि सुख चल कर पास आ जाता है। वर्तमान में लोग धन कमाने की पीछे परेसान हैं। उसके लिए गलत मार्ग पर भी जा रहे है। उन्हें आत्मा की चिंता ही नहीं होती है। आत्मा की चिंता नहीं करने वाले परेसान होते है।
मनुष्य ने संसार मे आने के बाद एक बार भी आत्मा का चिंतन नहीं किया। जब तक आत्म चिंतन नहीं करेगा खुसी नहीं मिल सकती है। उन्होंने कहा कि जब तक गलत कार्य नहीं छोडेंगे तब तक सुख नहीं मिल सकती है।
सुख पाना है तो संसार को छोड़ कर आत्मा के शुध्दि के लिए आगे बढ़ना चाहिए। लोगो जिस प्रकार से सांसारिक कमाई के लिए चिंता करते हैं वैसे ही आत्म कमाई के लिए चिंतन करले तो जीवन सफल हो जाएगा।