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क्षमावाणी पर्व पर शब्दों से नहीं दिल से क्षमा मांगो: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

क्षमावाणी पर्व पर शब्दों से नहीं दिल से क्षमा मांगो: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

संवतसरी पर्व पर प्रतिक्रमण के पश्चात जैन धर्मावलंबियों ने अपने अपराधों के लिए मांगी माफी

Sagevaani.com @शिवपुरी। मूर्ति पूजक श्वेताम्बर जैन समाज के खत्तरगज सम्प्रदाय के अनुयायियों का पर्यूषण पर्व क्षमावाणी के साथ सानंद संपन्न हुआ। कल धर्मावलंबियों ने व्रत उपवास रखकर प्रतिक्रमण किया और आज पारणे के पश्चात जैन साध्वी रमणीक कुंवर जी महाराज की उपस्थिति में एक दूसरे से सालभर में हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना की। इस अवसर पर साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि क्षमावाणी पर्व पर शब्दों से नहीं, बल्कि दिल से क्षमा मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गलती करना इंसान का स्वभाव होता है, लेकिन गलती कर क्षमा मांगने वाला महामानव होता है। मूर्तिपूजक जैन समाज के अध्यक्ष तेजमल सांखला और सचिव विजय पारख ने भी सभी प्राणियों से क्षमा याचना की।

प्रारंभ में क्षमावाणी पर्व का महत्व बताते हुए साध्वी जयश्री जी ने सुंदर भजन का गायन किया। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने कहा कि क्षमा मांगना कठिन है, लेकिन देना उससे भी कठिन है। उन्होंने राजा उदायन का उदाहरण देते हुए कहा कि क्षमावाणी पर्व पर उन्होंने उस राजा चण्डप्रधोत को क्षमा किया जिसे वह युद्ध में पराजित कर चुके थे। इस तरह से उन्होंने अपने दुश्मन को भी उन्होंने अपना मित्र बना लिया। उन्होंने कहा कि क्षमावाणी पर्व पर हमें खासतौर पर उन लोगों से क्षमा मांगना चाहिए जिनके प्रति हम कोई अपराध कर चुके हैं या जिनका जाने अनजाने में हमने दिल दुखाया है। क्षमावाणी पर्व को महज औपचारिकता से नहीं मनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अहंकार के कारण हम क्षमा नहीं मांगते हैं, लेकिन हम किस बात पर अहंकार कर रहे हैं? क्या आपने कभी सोचा है?

इस जिंदगी का क्या भरोसा? अभी है और पल भर बाद ही ना रहे। तो फिर अहंकार किस बात का। उन्होंने कहा कि संसार में हम अपना नाम लेकर भी नहीं आए। यह नाम हमें हमारे माता-पिता ने दिया है। फिर इस नाम के लिए हम क्यों झगड़ रहे हैं? क्यों अहंकार पाल रहे हैं? नाम में नहीं, बल्कि अपने कर्म में विश्वास रखें। उन्होंने कहा कि आठ दिन के पर्यूषण पर्व में यदि मैंने जरा सा भी आपका दिल दुखाया है तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं, लेकिन मेरे भाव अच्छे हैं और मैं कभी-कभी कड़वी बात इसलिए करती हूं ताकि इससे ही सही आपके जीवन में सुधार आ जाए। साध्वी रमणीक कुंवर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि बैर की गांठ बांधना नहीं चाहिए नहीं तो यह कैंसर का रूप धारण कर लेती है। उन्होंने भी क्षमावाणी पर्व पर समस्त प्राणियों के प्रति क्षमा याचना की।

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