चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा जिस प्रकार बांस से आकाश को नापना और छिद्र वाली नाव से समुद्र पार करना कठिन है, उसी प्रकार परिमित काल में प्रभु के अपरिमित गुणों का गुणगान करना संभव नहीं है।
पलभर का क्रोध भविष्य बिगाड़ सकता है इसलिए इसे जीवन का हिस्सा न बनाएं। क्रोध एक ऐसी आग है जो जलती तो है दूसरों को जलाने के लिए लेकिन वास्तव में सबसे पहले हमें ही जलाती है। यह चिंगारी की तरह उठती है और ज्वालामुखी की तरह धधकती है। जब क्रोध परिवार समेत आता है तो पूरा जीवन तबाह कर देता है। इसलिए क्रोध को हमेशा दूर रखना चाहिए।
साध्वी ने कहा दुनिया से बात करने को फोन चाहिए और खुद से बात करने के लिए मौन चाहिए। फोन कवरेज एरिया से बाहर बेकार है और मौन हर एरिया में सदाबहार है। फोन से कषाय हो सकता है लेकिन मौन से नहीं।
क्रोध करना दुर्भाग्य एवं प्रेम करना सौभाग्य है। साध्वी अपूर्वाश्री ने कहा हर व्यक्ति के मन में वैराग्य का भाव हो चाहे वह संयमी जीवन में हो या गृहस्थ जीवन में।