चेन्नई. ओंगोल जिले में स्थित मद्दीपाडु गांव में साईंबाबा मंदिर में विराजित मुनि संयमरत्न विजय, मुनि भुवनरत्न विजय ने ग्रामवासियों को उपदेश देते हुए कहा कि कहो वही जो सच्चा हो, करो वही जो अच्छा हो। बोलो वह जो मीठा हो,द ेखो वह जो सत्यम् शिवम् सुंदरम् हो।
दिखाओ वह जो दिव्य भव्य और नव्य हो। खाओ वही जो प्रभु का प्रसाद हो, पियो वही जिसमें अमृत का स्वाद हो। जिओ ऐसा जिसमें सच्चरित्र हो व गुणपुष्पों का सुगंधित इत्र हो और कार्य वही करो जो पवित्र हो। थोड़ा बोलो और सुनो ज्यादा। थोड़ा पढऩा और चिंतन ज्यादा करना, कम बोलना और ज्यादा सुनना ज्ञानी का लक्षण है।
जीभ एक और कान दो इसलिए हैं कि आदमी सुने ज्यादा और बोले कम। आज का आदमी सुनता तो कम है और बोलता ज्यादा है, इसलिए आये दिन विवाद खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग तो सपने में भी बड़बड़ाने व हड़बड़ाने लगते हैं। सुखी जीवन के पांच सूत्र हैं। जीवन में आसक्ति कम रखो, जो सामने आ रहा है से स्वीकार करते चलो, किसी की तुलना में अपने आप को खड़ा मत करो, पागलपन कम रखो और कम बोलो-काम का बोलो।
सुख और खुशियां पानी है तो इन पांच बातों को याद रखो। साईं बाबा मंदिर के निर्माता तांद्रकुमार ने जैन संतों की विहारचर्या व चातुर्मास के विषय में मुनि से जानकारी प्राप्त की और अगला चातुर्मास साईं बाबा मंदिर में करने की प्रार्थना की। मुनिद्वय ने ट्रस्टी राव सांई को तेलुगु भाषा में अनुवादित क्षमा नामक पुस्तक प्रदान की।